व्यक्तिगत कारणों से सुधी मित्रों और पाठिका/पाठक वृन्द से विराम माँग रहा हूँ। यह विराम रचना कर्म का भी विराम होगा। कितने दिन का होगा - नहीं पता। संभवत: दो तीन दिन या दो तीन सप्ताह!
लो हमको तो आप कह रहे थे की १० दिन हो गए. और आप इधर निकल लिए :) जल्दी आयेयेगा. अभी लंठ कथा बची है. क्लाइमेक्स के पहले भागना ठीक नहीं. -- हम अभी तक तो नहीं गए यात्रा पर हाँ २५ को जा रहे हैं उसी की तैयारी कर रहे हैं.
बिस्मिल्लाह का सिर्फ़ एक ही मुकाम है और वो है दिल, इसलिए उनके बारे में कुछ लिखने की कभी गुस्ताखी नही की , आप कहते है तो कुछ लिखने की कोशिश करूंगा, नया नाम [बिच्छू ] देने के लिए शुक्रिया ... बहुत दिल करता है की कोई इस नाम से पुकारे ...लिखते रहिये और हमारी पीर भी पढ़ते रहिये , मोक्ष .
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हम तो अभी यहाँ अपनी एड़ी जमा ही रहे थे कि विराम ले लिया आपने । जल्दी आइये । लंठई का रस-रोग हमें भी लग ही रहा था थोड़ा-थोड़ा ।
जवाब देंहटाएंआज ही मैने आया और इक आलसी का दिवाना हुआ
जवाब देंहटाएंतो लंठ पर आलस्य हावी होने लगा :)
जवाब देंहटाएंविराम नामंजूर! तुरंत काम पर लौटें! वरना सख्त से सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी!
जवाब देंहटाएंलो हमको तो आप कह रहे थे की १० दिन हो गए. और आप इधर निकल लिए :) जल्दी आयेयेगा. अभी लंठ कथा बची है. क्लाइमेक्स के पहले भागना ठीक नहीं.
जवाब देंहटाएं--
हम अभी तक तो नहीं गए यात्रा पर हाँ २५ को जा रहे हैं उसी की तैयारी कर रहे हैं.
ऐसा वही लिखता है जिसे ब्लॉग पर लिखास का दंश हो गया हो! :)
जवाब देंहटाएंयह विराम की सूचना भी लंठई का एक हिस्सा है। दो-तीन दिन की छुट्टी कोई छुट्टी होती है ब्लॉगरी में? इतना तो हम अक्सर फूट लेते हैं जी, बिना बताये।
जवाब देंहटाएंआराम से आइए भाई साहब, यहाँ कुछ लोग आपकी लेखनी से त्रस्त भी हो गये हैं। एक प्रशंसक ने तो मुझसे कहा,
“सिद्धार्थ जी, इनको सम्हालिए जरा! ये तो गजब ढा रहे हैं। कहिए थोड़ा ब्रेक लगाकर चलें। बाप रे बाप, बिल्कुल ‘बम्फाट’ हैं ये तो”
लो जी अभी तो आप गए भी नहीं और हमने प्रेमदृष्टि डाल भी दी !
जवाब देंहटाएंअजी जल्दी लौटियेगा !
आओ जल्दी..यहीं मुहाने पर बैठें है!!
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंआखिर कई दिह न लंठई ! चलअ काम धाम निपटाई के जल्दी से फिर आव !
जवाब देंहटाएंबिस्मिल्लाह का सिर्फ़ एक ही मुकाम है और वो है दिल, इसलिए उनके बारे में कुछ लिखने की कभी गुस्ताखी नही की , आप कहते है तो कुछ लिखने की कोशिश करूंगा, नया नाम [बिच्छू ] देने के लिए शुक्रिया ... बहुत दिल करता है की कोई इस नाम से पुकारे ...लिखते रहिये और हमारी पीर भी पढ़ते रहिये , मोक्ष .
जवाब देंहटाएंअगले शतक के लिए इतनी जोरदार तैयारी।
जवाब देंहटाएंबधाई हो जी!
बाऊ चर्चा धीरे धीरे लंठ महा पुराण में बदलता जा रहा है.
जवाब देंहटाएंइसको एक उपन्यास की शक्ल में देखना रोचक होगा.
बेहतरीन प्रयास है आपका. सच मानिये आप से हम सब
को प्रेरणा मिल रही है. जय हो.