सोमवार, 6 जुलाई 2009

विराम

व्यक्तिगत कारणों से सुधी मित्रों और पाठिका/पाठक वृन्द से विराम माँग रहा हूँ। यह विराम रचना कर्म का भी विराम होगा। कितने दिन का होगा - नहीं पता। संभवत: दो तीन दिन या दो तीन सप्ताह!

आप सभी से अनुरोध है कि प्रेमदृष्टि बनाए रखें।

धन्यवाद।

14 टिप्‍पणियां:

  1. हम तो अभी यहाँ अपनी एड़ी जमा ही रहे थे कि विराम ले लिया आपने । जल्दी आइये । लंठई का रस-रोग हमें भी लग ही रहा था थोड़ा-थोड़ा ।

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  2. आज ही मैने आया और इक आलसी का दिवाना हुआ

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  3. विराम नामंजूर! तुरंत काम पर लौटें! वरना सख्त से सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी!

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  4. लो हमको तो आप कह रहे थे की १० दिन हो गए. और आप इधर निकल लिए :) जल्दी आयेयेगा. अभी लंठ कथा बची है. क्लाइमेक्स के पहले भागना ठीक नहीं.
    --
    हम अभी तक तो नहीं गए यात्रा पर हाँ २५ को जा रहे हैं उसी की तैयारी कर रहे हैं.

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  5. ऐसा वही लिखता है जिसे ब्लॉग पर लिखास का दंश हो गया हो! :)

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  6. यह विराम की सूचना भी लंठई का एक हिस्सा है। दो-तीन दिन की छुट्टी कोई छुट्टी होती है ब्लॉगरी में? इतना तो हम अक्सर फूट लेते हैं जी, बिना बताये।

    आराम से आइए भाई साहब, यहाँ कुछ लोग आपकी लेखनी से त्रस्त भी हो गये हैं। एक प्रशंसक ने तो मुझसे कहा,

    “सिद्धार्थ जी, इनको सम्हालिए जरा! ये तो गजब ढा रहे हैं। कहिए थोड़ा ब्रेक लगाकर चलें। बाप रे बाप, बिल्कुल ‘बम्फाट’ हैं ये तो”

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  7. लो जी अभी तो आप गए भी नहीं और हमने प्रेमदृष्टि डाल भी दी !

    अजी जल्दी लौटियेगा !

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  8. आओ जल्दी..यहीं मुहाने पर बैठें है!!

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  10. आखिर कई दिह न लंठई ! चलअ काम धाम निपटाई के जल्दी से फिर आव !

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  11. बिस्मिल्लाह का सिर्फ़ एक ही मुकाम है और वो है दिल, इसलिए उनके बारे में कुछ लिखने की कभी गुस्ताखी नही की , आप कहते है तो कुछ लिखने की कोशिश करूंगा, नया नाम [बिच्छू ] देने के लिए शुक्रिया ... बहुत दिल करता है की कोई इस नाम से पुकारे ...लिखते रहिये और हमारी पीर भी पढ़ते रहिये , मोक्ष .

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  12. अगले शतक के लिए इतनी जोरदार तैयारी।
    बधाई हो जी!

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  13. बाऊ चर्चा धीरे धीरे लंठ महा पुराण में बदलता जा रहा है.
    इसको एक उपन्यास की शक्ल में देखना रोचक होगा.

    बेहतरीन प्रयास है आपका. सच मानिये आप से हम सब
    को प्रेरणा मिल रही है. जय हो.

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