गज़ब है सर जी..अपन तो परदेसी फ़गुनी बहार के कर-कमलों मे सुशोभित यंत्र को पिचकारी समझ कर खुस हो रहे थे..मगर ऊ तो राय-फल है..जो खा ले तो खुद पिचकारी बन जाय..खैर ’मातृवत् परदारेषु’ के प्रिंसिपल का अक्षर-मात्राशः पालन करते हुए (और अपने अग्रजों से भी ऐसी ही अपेक्षा रखते हुए ;-) ) आपको होली की पिचकारी भर भर रंगीन शुभकामनाएँ..
कृपया विषय से सम्बन्धित टिप्पणी करें और सभ्याचरण बनाये रखें। प्रचार के उद्देश्य से की गयी या व्यापार सम्बन्धित टिप्पणियाँ स्वत: स्पैम में चली जाती हैं, जिनका उद्धार सम्भव नहीं। अग्रिम धन्यवाद।
बहुत खूब शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंदद्दा रे. अच्छा है हम यहाँ हैं.
जवाब देंहटाएंहर दिशा की बयार पर नजर है आपकी !
जवाब देंहटाएंफ़ागुन में में चितवन चंचल हो गयी है। जरा सम्हाल के...।
जवाब देंहटाएंbdhiya post........
जवाब देंहटाएंदेवराज गिरिजेश क्यों तप भंग करवाने पर तुले हुए हैं :)
जवाब देंहटाएंसही है...
जवाब देंहटाएंगोया कि ब्रज की बाला पिचकारी लेकर फ़ागुन को सार्थक कर रही है....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। बधाई।
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
.
वैसे होली मिलन है कब ?
क्या बात है, इधर ये देवी बंदूक से खेल खेल रही हैं उधर इनके बन्धु बांधव भारतीयों के खून से खेल रहे हैं. पर होली है, सो हमारा केवल इनके चटक रंग देखेगे.
जवाब देंहटाएंगजब बैसाखी है, बन्दूक सी लग रही है!
जवाब देंहटाएंवाह मन रंग अनंग हुआ
जवाब देंहटाएंबड़ी तगड़ी नजर है।
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ।।
--------
कुछ खाने-खिलाने की भी तो बात हो जाए।
किसे मिला है 'संवाद' समूह का 'हास्य-व्यंग्य सम्मान?
बढ़िया लगा. होली की ढेरों बधाइयाँ.
जवाब देंहटाएंआप और आपके परिवार को होली की शुभकामनाएँ...
जवाब देंहटाएंजय हो जय हो.....।
जवाब देंहटाएंगज़ब है सर जी..अपन तो परदेसी फ़गुनी बहार के कर-कमलों मे सुशोभित यंत्र को पिचकारी समझ कर खुस हो रहे थे..मगर ऊ तो राय-फल है..जो खा ले तो खुद पिचकारी बन जाय..खैर ’मातृवत् परदारेषु’ के प्रिंसिपल का अक्षर-मात्राशः पालन करते हुए (और अपने अग्रजों से भी ऐसी ही अपेक्षा रखते हुए ;-) ) आपको होली की पिचकारी भर भर रंगीन शुभकामनाएँ..
जवाब देंहटाएंठाकरे साहब इसके लिए क्या हुक्म है ? ये आस्ट्रेलिया से आई है ?
जवाब देंहटाएं:) :) :)
जवाब देंहटाएंnice......