चित्र - सम्बन्धित इंटरनेट साइटों से साभार
हे देश शंकर!
फागुन माह होलिका, भूत भयंकर -
प्रज्वलित, हों भस्म कुराग दूषण अरि सर -
मल खल दल बल। पोत भभूत बम बम हर हर ।
हे देश शंकर।
स्वर्ण कपूत सज कर
कर रहे अनर्थ, कार्यस्थल, पथ घर बिस्तर पर ।
लो लूट भ्रष्ट पुर, सजे दहन हर, हर चौराहे वीथि पर
जगे जोगीरा सरर सरर, हर गले कह कह गाली
से रुचिकर।
हे देश शंकर।
हर हर बह रहा रुधिर
है प्रगति क्षुधित बेकल हर गाँव शहर
खोल हिमालय जटा जूट, जूँ पीते शोणित
त्रस्त प्रकर
तांडव हुहकार, रँग उमंग धार, बह चले सुमति गंगा
निर्झर
हे देश शंकर।
पाक चीन उद्धत बर्बर
चीर देह शोणित भर खप्पर नृत्य प्रखर
डमरू डम घोष गहन, हिल उठें दुर्ग
अरि, छल कट्टर ।
शक्ति मिलन त्रिनेत्र दृष्टि, आतंक
धाम हों भस्म भूत, ढाह कहर
हे देश शंकर।
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गिरिजेश राव
स्वर्ण कपूत सज कर
जवाब देंहटाएंकर रहे अनर्थ, कार्यस्थल, पथ घर बिस्तर पर
लो लूट भ्रष्ट पुर, सजे दहन हर, हर चौराहे वीथि पर
जगे जोगीरा सरर सरर, हर गले कह कह गाली से रुचिकर
एक सुन्दर शब्द-चित्र। वाह।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
स्वर्ण कपूत सज कर
जवाब देंहटाएंकर रहे अनर्थ, कार्यस्थल, पथ घर बिस्तर पर
लो लूट भ्रष्ट पुर, सजे दहन हर, हर चौराहे वीथि पर
सुन्दर भावनाओ से ओत प्रोत बेह्तरीन प्रस्तुति ...आभार!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
हाहाकार भयंकर शंकर ..ये तीन शब्द आये मन में सहसा
जवाब देंहटाएंहे देश शंकर...जय हो महाराज!
जवाब देंहटाएंमहाशिवारात्रि की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
हे देश शंकर ...
जवाब देंहटाएंकर तांडव भयंकर ...
फाग में जोगीजी का यह रूप अनूठा ,दुर्लभ , अनुकरणीय , श्रद्धा जगाने वाला है ...
बहुत बढ़िया ....!!
""हर हर बह रहा रुधिर
जवाब देंहटाएंहै प्रगति क्षुधित बेकल हर गाँव शहर
खोल हिमालय जटा जूट, जूँ पीते शोणित त्रस्त प्रकर
तांडव हुहकार, रँग उमंग धार, बह चले सुमति गंगा निर्झर
हे देश शंकर।
पाक चीन उद्धत बर्बर
चीर देह शोणित भर खप्पर नृत्य प्रखर
डमरू डम घोष गहन, हिल उठें दुर्ग अरि, छल कट्टर ।
शक्ति मिलन त्रिनेत्र दृष्टि, आतंक धाम हों भस्म भूत, ढाह कहर
हे देश शंकर।""
महादेव के जरिये सुंदर संदेश ,आभार.
जगे जोगीरा सरर सरर, हे देश शंकर
जवाब देंहटाएंगिरिजेश भाई ,
बहुत सुन्दर कविता लिखी है आपने चित्र भी बहोत पसंद आया
बहुत आभार - प्रेषित करने का
स्नेह सहित
- लावण्या
अब तो शंकर को अपना तांडव दिखाना ही होगा। सुन्दर रचना । महाशिवरात्रि की बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढिया रचना लगी , पढते ही जोश आ गया ।
जवाब देंहटाएंआज मूड बनाया था कि छन्नूलाल मिश्र जी को सुनूंगा गाते हुए कि 'खेले होरी दिगम्बर मसाने में' लेकिन यह लेखन देख थोडा रूक सा गया हूं। दो बार पढा, तीन बार पढा और मन मस्त हो अब YOUTUBE पर मुनीम जी वाला गीत देख रहा हूं - शिवजी बिहाने चले, पालकी सजाईके ना....।
जवाब देंहटाएंhttp://www.youtube.com/watch?v=YndAv2bi3A4
बहुत ही बेहतरीन और रोचक रचना राव साहब !
जवाब देंहटाएंओह ! अति आनंद... आह्लादित हुआ... धन्यवाद... हिंदी कविता की बात ही निराली है.
जवाब देंहटाएंबोलकर पढने में इस कविता का कोई सानी नहीं.
जवाब देंहटाएंमैं भी तो यही मना रहा हूँ , ''........बह चले सुमति गंगा निर्झर ''
जवाब देंहटाएंपर ऐसा होता कम ही दिखता है !
अरे अलका बिटिया को तो हम साधुवाद देना भूल ही गए थे -शाबाश बेटे -पापाका हाथ बटाने के लिए .
जवाब देंहटाएंAnayas hi Nirala ki RAM KI SHAKTI PUJA yaad aa gayi. Badhayi.
जवाब देंहटाएंगिरिजेश भाई अपना हाल कविता निरक्षर जैसा है इसलिये टिप्पणी करने के नाम से दो तीन बार पढ़ चुकने के बाद भी आंखों के आगे करिया अक्षर भैंस बराबर का टैग लगा हुआ है ! पहली बार टिपिया रहे है सो झूठ काहे बोलें , आपकी कविता को मारक / प्रभावी और धारदार बनाने में निःसंदेह बिटिया द्वारा सृजित दृश्य का महत्वपूर्ण योगदान है !
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि पर अशेष शुभकामनायें !
बहुत खूब. संभवत: होली शैवों का ही उत्सव रहा होगा. भले ही इसका प्रारंभ, विष्नु साधक प्रहलाद की कथा से है.कालांतर में इसे भिन्न रूप मिले होगे. ब्र्ज में कृष्ण और गोपियों का प्रेम मिल गया, अवध में राम का शौर्य.
जवाब देंहटाएंचित्र मिश्रण के लिये अलका लो साधुवाद. आपके शीर्षक को तो कविता से अधिक चित्र सार्थक करता है.
ati sundar sir :)
जवाब देंहटाएंइसमें चित्रात्मकता बहुत है। आपने बिम्बों से इसे सजाया है। ध्वनि बिम्ब या चाक्षुष बिम्ब का सुंदर तथा सधा हुआ प्रयोग। बिम्ब पारम्परिक नहीं है – सर्वथा नवीन। इस कविता की अलग मुद्रा है, अलग तरह का संगीत, जिसमें कविता की लय तानपुरा की तरह लगातार बजती रहती है । अद्भुत मुग्ध करने वाली, विस्मयकारी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 13.02.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/
शंकर से आपकी मांग में आपके साथ. शिवरात्रि की शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंहे देश शंकर!
जवाब देंहटाएंफागुन माह होलिका, भूत भयंकर -
प्रज्वलित, हों भस्म कुराग दूषण अरि सर -
मल खल दल बल। पोत भभूत बम बम हर हर ।
हे देश शंकर।
सुंदर, महाशिवारात्रि की शुभकामनाएँ
regards
पाक चीन उद्धत बर्बर
जवाब देंहटाएंचीर देह शोणित भर खप्पर
नृत्य प्रखर डमरू डम घोष गहन,
हिल उठें दुर्ग अरि, छल कट्टर
मानो साक्षात शिव तांडव कर रहे हों ......... नृत्य कर रहा है आपकी रचना का हर शब्द ....
लाजवाब प्रस्तुति .......
अनुराग शर्मा जी से अक्षरश: सहमत, असुर उत्पात तभी शांत होता है जब शंकर अशांत हों। और हां,
जवाब देंहटाएंचित्र से इस पोस्ट का महत्व कई गुणा ज्यादा हो गया है, आप दोनों को बधाई।
अब लिखने में तो गिरिजेश जी का कोई सानी नहीं - और अब बिटिया भी जुड़ गयी हैं रचना की डगर पर - तो आगे भी खूबसूरत रचनाओं की नदी बहती रहने वाली है - जय हो ....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन चित्रण। वैसे भी शास्त्र में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को शिव रूप बताया गया है।
जवाब देंहटाएंभगवान शंकर को समर्पित एक उत्तम रचना
जवाब देंहटाएंअद्वितीय, अद्वितीय ,अद्वितीय !!!
जवाब देंहटाएं