शायद नहीं। इस बहाने अलका बिटिया द्वारा मिश्रित\संपादित चित्र देश शंकर वाली पोस्ट एक बार फ़िर से देख ली। वैसे इस पोस्ट में पूछा गया प्रश्न एक सहज प्रश्न है या कोई निहितार्थ है इसमें भी? पता नहीं क्यों एक ही समय में एक से ज्यादा भाव समान रूप से लिये पात्र मुझे भी बहुत प्रभावित करते हैं, जैसे सिख गुरुओं का पीरी और मीरी को एक साथ जीने का भाव, यह अर्धनारीश्वर...।
सर जी, चित्र अच्छा लगा तो शेयर कर दिया, कौनो निहितार्थ नहीं है। वैसे ही जैसे नटराज का वह चित्र देख बिटिया से शंकर को देश में लय होते, उससे उभरते और प्रभाव में एक ही दर्शाने के लिये कहा था ... पीरी मीरी एक साथ साधना बहुत कठिन है। निराला याद आ गये - असल योद्धा भोगी भी होगा। शिव-शिवा युग्म ऐसा ही है।... तलाश अभी जारी है क्यों कि इस चित्र में स्त्री तत्व प्रधान है, यिंग यांग संतुलन नहीं है फिर भी मेरा देखा अर्द्धनारीश्वर का अभी तक का यह सर्वोत्तम चित्र है।
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चित्र देखते ही यही प्रश्न कौंधा था...इतना सुंदर ! ई कहाँ से पा गये गुरू..? नीचे पढ़ा, आपने पूछा भी यही है।
जवाब देंहटाएंशायद नहीं।
जवाब देंहटाएंइस बहाने अलका बिटिया द्वारा मिश्रित\संपादित चित्र देश शंकर वाली पोस्ट एक बार फ़िर से देख ली।
वैसे इस पोस्ट में पूछा गया प्रश्न एक सहज प्रश्न है या कोई निहितार्थ है इसमें भी?
पता नहीं क्यों एक ही समय में एक से ज्यादा भाव समान रूप से लिये पात्र मुझे भी बहुत प्रभावित करते हैं, जैसे सिख गुरुओं का पीरी और मीरी को एक साथ जीने का भाव, यह अर्धनारीश्वर...।
नयनाभिराम...
जवाब देंहटाएंनहीं, मैंने रख लिया है।
जवाब देंहटाएंन! लगता तो नहीं
जवाब देंहटाएं@ मो सम कौन
जवाब देंहटाएंसर जी, चित्र अच्छा लगा तो शेयर कर दिया, कौनो निहितार्थ नहीं है। वैसे ही जैसे नटराज का वह चित्र देख बिटिया से शंकर को देश में लय होते, उससे उभरते और प्रभाव में एक ही दर्शाने के लिये कहा था ...
पीरी मीरी एक साथ साधना बहुत कठिन है। निराला याद आ गये - असल योद्धा भोगी भी होगा। शिव-शिवा युग्म ऐसा ही है।...
तलाश अभी जारी है क्यों कि इस चित्र में स्त्री तत्व प्रधान है, यिंग यांग संतुलन नहीं है फिर भी मेरा देखा अर्द्धनारीश्वर का अभी तक का यह सर्वोत्तम चित्र है।
बहुत ही सुन्दर!
जवाब देंहटाएंनयनाभिराम
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर।
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