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बुधवार, 12 सितंबर 2012

रघुवीर बाबू बच गये थे! अरे अपने सहाय जी!!

हम अपनी ओर से कुछ नहीं कहेंगे, न जोड़ेंगे, न घटायेंगे। आप लोग खुदे समझिये और समझाइये:

राष्ट्रगीत में भला कौन वह

भारत-भाग्य-विधाता है
फटा सुथन्ना पहने जिसका
गुन हरचरना गाता है।


मखमल टमटम बल्लम तुरही

पगड़ी छत्र चँवर के साथ
तोप छुड़ाकर ढोल बजाकर
जय-जय कौन कराता है।


पूरब-पच्छिम से आते हैं

नंगे-बूचे नरकंकाल
सिंहासन पर बैठा, उनके
तमगे कौन लगाता है।


कौन-कौन है वह जन-गण-मन-

अधिनायक वह महाबली
डरा हुआ मन बेमन जिसका
बाजा रोज़ बजाता है।
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ई हमार रचल नाहिं, रघुवीर सहाय के रचल हेs।
ए हरचरना! पढ़ु जोर जोर से!
ऐ सँवारू, रटि लs, अगिला विधान दिवस पर गा के सुनइहs।