भाई जरा जांच लो . ये ताऊ रामपुरिया असली नहीं है , बदमाश है , ब्लूगेर का सायं नदारत है यानी तू के नाम पे फर्जी है. इस तरह के दोगले ब्लोग्गरों में झगडे लगवाते घूम रहे हैं .
जब एक बार जादूगर टोपी से बाहर आ गया तो आत्मदीपो भव: है। फिर न कहानी सुनने की जरूरत है न सुनाने की। बुद्ध के साथ चल रहे हजारों जादूगर अपनी टोपी से बाहर निकल आए थे। जगमगा रहे थे, पर कहानियां नहीं सुना रहे थे, यह काम तो सिर्फ बुद्ध के जिम्मे रहा... :)
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Aaj kal to sab jaadugar ban gai hain kisse sunane vaale aur mauka milte hi doosare ko topi pahana deten hain
जवाब देंहटाएंअब टोप से निकला जादूगर टोप पहन कर कहानियाँ सुनाया करता है। और रसीली पीकर बेनामी टिपणियां करने का कारोबार करता है.:)
जवाब देंहटाएंरामराम.
@ ताऊ रामपुरिया
जवाब देंहटाएंसाष्टांग दण्डवत करता हूँ ताऊ जी! बेनामी में मुझे न गिना जाय। हम खम ठोक कर चेहरा उघाड़ कर टिपियाते हैं। ;)
'रसीली' पर:
वैसे आप बहुत गहन रूप से मुझे मॉनिटर कर रहे हैं। आभारी हूँ। बड़ों का आशीर्वाद बने रहना चाहिए।
वैसे यह ज़ेन कथा है बहुत ही गहन अर्थ लिए हुए।
अब यह 'ऋचा' का दोष है कि 'लंठ' ऋषि की दृष्टि में आई। टिप्पण घाल मेल तो होगा ही। :)
भाई जरा जांच लो . ये ताऊ रामपुरिया असली नहीं है , बदमाश है , ब्लूगेर का सायं नदारत है यानी तू के नाम पे फर्जी है. इस तरह के दोगले ब्लोग्गरों में झगडे लगवाते घूम रहे हैं .
जवाब देंहटाएंऔर दूसरो को टोपी नहीं पहनाता? :)
जवाब देंहटाएंबता ही दें, कहां मिली आपको उस जादूगर की टोपी। मिली जरूर है, यह आपकी लेखनी देखकर पता ही चल रहा है।
जवाब देंहटाएंटोप वाले जादूगर की कथा अच्छी है। लेकिन भाई हम तो मुरेठा वाले लंठ की लंठ-चर्चा के मुरीद हो गए :)
जवाब देंहटाएंजब एक बार जादूगर टोपी से बाहर आ गया तो आत्मदीपो भव: है। फिर न कहानी सुनने की जरूरत है न सुनाने की। बुद्ध के साथ चल रहे हजारों जादूगर अपनी टोपी से बाहर निकल आए थे। जगमगा रहे थे, पर कहानियां नहीं सुना रहे थे, यह काम तो सिर्फ बुद्ध के जिम्मे रहा... :)
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