शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

वन्दे मातरम्




वन्दे मातरम्

माँ ! तुम्हें किसी सम्प्रदाय के प्रमाणीकरण और स्वीकार की आवश्यकता नहीं है।

'वन्दे मातरम' 
हे शब्द समूह ! तुम्हें किसी जड़ मान्यता के भाष्य की आवश्यकता नहीं है।
 तुम स्वयंसिद्ध हो प्रात: उगते सूर्य को देख उपजे आह्लाद, सम्मान और विनय की तरह।
तुम स्वयंसिद्ध हो हमारे जीवन को ले धमनियों में दौड़ते रक्त प्रवाह की तरह।  
तुम स्वयंसिद्ध हो हमारे मन में उमड़ते पुरनियों के प्रति सम्मान की तरह।
हमारी आगामी पीढ़ियाँ भी तुम्हें साँसों में ऐसे ही घुलाए रखेंगी - जीवन दुलार की तरह।
हमारी पीढ़ियाँ कृतघ्न नहीं होंगी।
उन्हें मूर्तिपूजक होने पर गर्व रहेगा
हे शब्द समूह, हम उन्हें ऐसे संस्कार देंगे।
वन्दे मातरम।                                               (चित्राभार: http://kamat.com/kalranga/freedom/s210.htm)
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 "This flag is of Indian Independence! Behold, it is born! It has been made sacred by the blood of young Indians who sacrificed their lives. I call upon you, gentlemen to rise and salute this flag of Indian Independence. In the name of this flag, I appeal to lovers of freedom all over the world to support this flag."  
-- B. Cama , Stuttgart, Germany, 1907
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24 टिप्‍पणियां:

  1. इसकी,उसकी,किसी के भी प्रमाणिकरण की ज़रूरत नही है मां को,मां तुझे सलाम,मां तुझे प्रणाम,

    वंदे मातरम्।

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  2. "'वन्दे मातरम'
    हे शब्द समूह ! तुम्हें किसी जड़ मान्यता के भाष्य की आवश्यकता नहीं है।"

    बिल्कुल सही बात है!

    ॥वन्देमातरम्॥

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  3. वन्दे मातरम

    इससे जुड़ा मेरा लेख " माँ को इज्जत देनें मे अगर शर्म आती है तो कहीं डुब मरो" जरुर पढ़े ये रहा लिंक
    http://mithileshdubey.blogspot.com/2009/11/blog-post_05.html

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  4. मैं जोनल ट्रेनिंग सेण्टर उदयपुर का प्रधानाचार्य हुआ करता था। वहां सभी रेल कर्मी सवेरे की असेम्बली प्रारम्भ करते प्रार्थना करते थे। मैने उस प्रार्थना में प्रारम्भ में राष्ट्र गीत और अन्त में राष्ट्र गान जोड़ा।
    मेरे वहां से हटने पर कुछ ट्रेनीज के आग्रह पर वन्दे मातरम बन्द हो गया! :(

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  5. ये दुराग्रह है. कुछ समय पहले तक बडे बडे धर्म गुरू भी बादशाह अकबर ( जिन्हें इतिहास का ज्ञान हो वे हाल की जोधा अकबर फिल्म ही रिफर कर सकते हैं) के सामने दुब्बर ( जमीन तक गिर पडने तक ) हो कर आदाब बजाते थे. क्या जन्मभूमि उन बादशाहों से भी निम्नतर है ? केवल इसलिये कि वह सूली पर नहीं लटका सकती, क्यों वह तो माँ है, जीवन दायिनी माँ.

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  6. गिरिजेश जी, आजकल बडा बवेला मचा हुआ है। जिसे देखो एक दूसरे से देशभक्ति का सार्टिफिकेट मांग रहा है और उसपर फतवे दे रहा है। इसलिए डर लगता है टिप्पणी भी करते हुए।
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    परा मनोविज्ञान-अलौकिक बातों का विज्ञान।
    ओबामा जी, 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।

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  7. "हे शब्द समूह ! तुम्हें किसी जड़ मान्यता के भाष्य की आवश्यकता नहीं है।"

    पूर्णत: सत्य!!
    वन्दे मातरम्!!!

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  8. Girijesh Rao ji.......

    pranaam.......

    aaj pehli baar aapke blog par aana hua........ aa kar bahut achcha laga...yeh bhi jaan kar khushi hui ki aap bhi lucknow se hain...kabhi miliye..... badi khushi hogi aapse mil kar...


    saadar

    mahfooz

    VANDE MAATRAM........

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  9. "हमारी पीढ़ियाँ कृतघ्न नहीं होंगी। उन्हें मूर्तिपूजक होने पर गर्व रहेगा हे शब्द समूह, हम उन्हें ऐसे संस्कार देंगे।"
    क्या बात है गिरिजेश जी ! आपकी अभिव्यक्ति को नमस्कार.
    ॥वन्देमातरम्॥
    বন্দে মাতরম
    ವಂದೇ ಮಾತರಂ
    വന്ദേ മാട്രം
    ਵੰਡੇ ਮਾਤਰਮ
    வண்டே மாதரம்
    వందే మాతరం
    વંદે માતરમ

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  10. ونڈے ماترم!
    ما تجھے سلام!
    ہندوستان زنداباد! ہندوستان پینداباد!
    वन्दे मातरम!
    जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी!

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  11. meenoo khare kee tippanee meree bhee manee jaye .
    VANDE MATARAM !
    VANDE MATARAM !
    VANDE MATARAM !

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  12. आह!...आह कि कुछ "अन्य" कुछ "खास" लोग भी इसे पढ़ पाते...इससे पढ़ते!!!

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