पूर्णिमान्त आधारित नामकरण में महीने का अंत पूर्णिमा से होता है, उत्तर के अधिकांश भाग में यह प्रचलित है। गई पूर्णिमा को जब कि चंद्र कृत्तिका नक्षत्र पर पहुंचे, कार्तिक मास समाप्त हो गया और मार्गशीर्ष (अगहन) प्रारम्भ हो गया जो कि अगली पूर्णिमा तक रहेगा। उस दिन चन्द्र मृगशिरा (Orion) नक्षत्र पर होंगे। इसी से महीना मार्गशीर्ष कहलाता है।
इसके एक और नाम अगहन का सम्बन्ध उस समय से है जब महाविषुव (Spring equinox) के दिन सूर्य मृगशिरा नक्षत्र पर होते और नया साल प्रारम्भ होता अर्थात मृगशिरा साल का अगुवा था।
दक्षिण में अमान्त का चलन है अर्थात अमावस्या के दिन महीना समाप्त होता है और शुक्ल पक्ष एक से प्रारम्भ। पूर्णिमा महीने के बीच में पड़ती है। अत: यहां कार्तिक अभी भी चल रहा है जो अगली अमावस्या को समाप्त हो जाएगा।
किसी समय परंपरा में मृगशिरा नक्षत्र प्रजापति का रूप था जिसका मस्तक लुब्धक नक्षत्र (Sirius) रूपी रुद्र ने काट दिया था। उस नाक्षत्रिक रूपक का संबंध महाविषुव की खिसकन से था।
दक्षिण भारत में मृगशिरा, आर्द्रा और रोहिणी नक्षत्रों के साथ और नीचे का क्षेत्र ले 'विराट नटराज' का रूपक मिलता है। रोहिणी (aldebaran) और अग्नि हुतभुज (Alpha स्टार) एवं [Hyades] का क्षेत्र वैदिक यज्ञीय अग्नि से संबन्धित था। उसका नटराज का प्रज्वलित खप्पर हो जाना! कल आकाश को घूरते मेरे रोंगटे खड़े हो गये।
तो आज रात आप नटराज का दर्शन करेंगे न? दक्षिण पूर्वी आकाश साढ़े दस के पश्चात?
शानदार पोस्ट …. sundar prastuti … Thanks for sharing this!! 🙂 🙂
जवाब देंहटाएंshandar nabhpanjika padne mai bhi bada maja aya sankranti ko thoda samghaye kya hota hai ye thoda confision ho raha hai surya uttar ki or ti dec mai hi ayangati prarambh kar dete hai to jan mai kyo sankranti
जवाब देंहटाएंdhanyawad
जवाब देंहटाएंshandar nabhpanjika padne mai bhi bada maja aya sankranti ko thoda samghaye kya hota hai ye thoda confision ho raha hai surya uttar ki or ti dec mai hi ayangati prarambh kar dete hai to jan mai kyo sankranti
जवाब देंहटाएंAwesome,,,Hindi blog its awesome
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