बहुत दिनों से चाहा, बहुत कुछ लिखना तुम पर लेकिन नहीं लिख पाया।
न नमन है और न ग्लानि (पाखंड लगते हैं मुझे), मेरा समर्थन तुम्हें है।
वर्षों के तप को दिनों के सहारे नहीं चाहिये।
ठोस काम चाहिये, खोखले वादे नहीं चाहिये।
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