परिच्छेदन के पहले कुछ शिशुओं को सामान्य एनेस्थेटिक दिया जाता है। वस्तुत: सामान्य एनेस्थेटिक और EMLA क्रीम दोनों नवजातों के लिए प्रतिदिष्ट हैं। शिशु शिश्न के कोरोना के उभार की स्थिति देखें जो शिश्न की आधी लम्बाई से कम पर है। इससे शिश्न की तुलना में शिश्नग्रच्छद (foreskin) की अधिक लम्बाई का संकेत मिल जाता है। |
DPNB तीन इंजेक्सनों में दी जाती है। यद्यपि यह पृष्ठ भाग को सुन्न कर देता है लेकिन पेरेनियल नर्व की निम्न पृष्ठीय स्थिति के कारण एनेस्थेसिया के बावजूद फ्रेनुलम (frenulum) काटे जाते समय अक्सर शिशु चीखने लगते हैं। उस पीड़ा को 'असुविधा' कहना मधुभाषी होना ही कहा जाएगा क्यों कि पीड़ा शल्य के बाद में ही नहीं, शल्य क्रिया के दौरान भी रहती है। हालाँकि AAP स्थानीय एनेस्थेसिया की सलाह देता है लेकिन इसका प्रयोग कम ही होता है। इंजेक्सन का प्रभाव शल्य क्रिया के पश्चात जाता रहता है और दूसरे दर्दनिवारक देने पड़ते हैं। |
शिश्न के उपर इतना कुछ केन्द्रित होने से उसमें उठान (erection) आ जाती है। एक वीडियो में डाक्टर को शिश्न को सहलाते दिखाया गया है ताकि उठान हो (क्यों कि ऐसा होता है)। शिशु का शिश्नग्रच्छद पीछे को नहीं जाता क्यों कि सामान्यत: यह मुख्यांग से जुड़ा रहता है। ऐसा लगता है कि आनन्द की इस अनुभूति के तुरंत बाद असहनीय पीड़ा की घटना शिशु के कामोत्तेजना के भावों में विभ्रम की स्थिति उत्पन्न करती है। इसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि परिणामत: बाद में सैडोमैसकिज़म (पीड़ा देकर प्रसन्न होना, एक मनोरोग) की प्रवृत्ति आ जाय। |
त्वचा को पीछे खींचना कहना हल्कापन होगा। कुछ शिशुओं में केवल त्वचा को पीछे खींचना ही पर्याप्त होता है लेकिन बहुधा शिश्नग्रच्छद और मुख्यांग के बीच एक प्रोब घुसाना पड़ता है ताकि सिनेकिया (synechia) को फाड़ कर अलग किया जा सके। इस चित्र में और इसके बाद वाले चित्र में मुख्यांग का लुहलुहान दिखना इसी कारण है। यदि यह ग़लत तरीक से किया जाय तो इससे कई नुकसान हो सकते हैं जैसे मूत्र नली फिस्टुला (fistula), मूत्र नली में दूसरा छेद हो जाना। इस प्रक्रिया में फ्रेनुलम फट सकता है जिससे कामोद्दीपक उतकों की न्यूनाधिक हानि हो सकती है। |
शिश्न को एक मिनट तक क्लैम्प में रख छोड़ना होता है ताकि उतक भोथरे और रक्तरहित हो जांय। यह वह बिन्दु है जब डाक्टर द्वारा मुख्यांग या उसके कुछ हिस्से के काट दिए जाने की आशंका रहती है। आजकल क्लैम्प के बजाय बोन फोर्सेप का प्रयोग किया जाता है। मुक्तहस्त परिच्छेदन में इसका खतरा अधिक रहता है। जब मुख्यांग को ढकने के लिए बेल (bell) का प्रयोग किया जाता है तो यह खतरा कम रह जाता है। कृपया ध्यान दें कि काटना नहीं दिखाया गया है। |
घाव के किनारे एक दूसरे से लगे रहते हैं। यदि उन्हें रोका नहीं गया तो बाद में वे मुख्यांग से लग कर स्किन ब्रिजों (skin bridges) में परिणत हो सकते हैं। सामान्य अवधारणा के विपरीत एक परिच्छेदित शिश्न 'रखरखाव मुक्त' नहीं होता। |
म्युकोसा (mucosa) से विलग अंग का लघु कटा किनारा घाव भरने के बाद भद्दा दिखेगा। |
अत्यधिक और अनियंत्रित रक्तस्राव परिच्छेदन की महती समस्या है। इस प्रक्रिया में शिशु बहुत तेजी से प्राणनाशक सीमा तक खून बहा सकता है। अपने प्रात:आहार के दशमांश के बराबर भी रक्तस्राव होने पर शिशु को खून चढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है। |
शल्यचिकित्सक की अंगुलियों पर लगे रक्त को देखें। काटे जाने वाले 'अतिरिक्त' म्यूकोसा की मात्रा डाक्टर के अनुमान पर निर्भर है। इससे यह तय होता है कि वृहद-परिच्छेदन होगा या लघु। यदि वह बाहरी त्वचा को काटने का निर्णय लेता/ती है तो इससे ढीलेपन या तंगी का होना तय होगा, हालाँकि उसे इस बात का अनुमान भी नहीं होगा कि बड़े होने पर इसके क्या परिणाम होंगे। इसी स्टेज पर डाक्टर अधिक फ्रेनुलम काटने का निर्णय ले सकता है जिसका पुरुष की काम क्षमता पर कैसा भी अपूर्वानुमेय प्रभाव पड़ सकता है। |
सर्जिकल वस्त्रों पर रक्त के अतिशय दाग देखें। |
...और इसके बाद अंगी के जीवन के बारे में विचारें। मुख्यांग का नग्न स्वरूप स्पष्ट है। टाँकों के नीचे सूजन आने लगी है। | यह अनुक्रम शल्य क्रिया के बाद की सावधानी, संरक्षण के बारे में नहीं बताता। फिर कभी... । |
आभार। साहित्य और रिपोर्टिंग के अलावा भी कुछ ले आए और क्या खूब ले आए !
जवाब देंहटाएंगिरिजेश जी
जवाब देंहटाएंपिछले कई एपिसोड्स से आपका फोकस विषुवत रेखीय प्रदेशों की ओर परिलक्षित हो रहा है :)
जानकारी तो बहुत रोचक लेकिन हृदयविदारक है। थोड़ा अजीब सा लगा पढ़ते हुए लेकिन ऐसे लेखों का विषय ही ऐसा है कि उन्हें और किसी ढंग से समझाया भी तो नहीं जा सकता।
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट।
@ अली जी
जवाब देंहटाएंकई एपिसोड्स तो नहीं हैं।
यह बस एक संयोग है :)
किसी ने कहा कि मुझे अपने ब्लॉग पर adult टैग लगा देना चाहिए। मैंने कहा कि मैं adult हूँ और adults के लिए ही लिखता हूँ ;)
@ कर्क रेखीय प्रदेशों के शृंगों के बारे में भी लिखने की मंसा है लेकिन विस्तार देने की अपनी आदत से डर लगता है। कैनवस इतना फैल चल जाता है कि कूँची चलाने के लिए समय कम पड़ने लगता है। :(
जवाब देंहटाएंगिरिजेश जी
जवाब देंहटाएंदूसरे क्या कहतें हैं पता नहीं पर हमसे तो केवल हमारी ही सुनिये ....
'सामर्थ्य शालियों को हर प्रदेश ...दसों दिशाओं में प्रयाण करना चाहिये'
क्या मित्रों की ऐसी कामना में कुछ अनुचित भी है ?
@ बेनामी जी
जवाब देंहटाएंआप की टिप्पणी इसलिए हटाया कि आप की टिप्पणी विषयवस्तु से बाहर की थी। आशा है आप समझेंगे और सहयोग बनाए रखेंगे।
उत्तम जानकारी… गिरजेश जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
Girijesh rao ji ,I congratulate you sir for a neat reporting with refrences ,which gives the material an authenticity .
जवाब देंहटाएंKeep it up ,we need to educate the maasses on scientific thought and thinking .
veerubhai 1947.blog spot.com
Circumcision denies a male's right to genital integrity and choice for his own body.
जवाब देंहटाएंpeople must read this post and come out of ignorance .
Brilliant post !
गिरिजेश सर,
जवाब देंहटाएंदेखा, पढ़ा और अब जा रहे हैं।
अब टिप्पणी करने में भी डर लगने लगा है, सोचना पड़ता है(बहुत मुश्किल है ये काम) :)
आभार।
ह्रदय विदारक ???????????????
जवाब देंहटाएंहाहाकारी है यह तो !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
पर क्यों ?
जवाब देंहटाएंकिसी चिकित्सक के पास क्यों जाए ?
स्वाभाविकता क्या कहती है ?
कबीर की कविता याद आयी ?
....
साहब ! बहुत करेजा पोढ़ करके पढि पाए , नहीं तो ... जानते ही हैं !
@ अब टिप्पणी करने में भी डर लगने लगा है, सोचना पड़ता है(बहुत मुश्किल है ये काम) :)
जवाब देंहटाएं------------ सही कहे .. हम तो ,,, अब क्या कहें -
'' कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी ,
यूँ ही कोई बेवफा नहीं होता | ''
लेकिन आपसे यही कहूंगा ---
'दूध का जला' हूँ पर 'छाछ फूंक फूंक' पीना पसंद नहीं | ( सन्दर्भ-आपबीती ) [ :) ]
अस्तु टीप-कार्य को उतना मुश्किल भी मत कहिये !
----------------------------
राव साहब !
' @' की सहायता से लिखा हूँ , नहीं तो इसे भी कैची से 'खचाक' कर दें आप ! :) | आभार !
जानकारीपूर्ण पोस्ट,आभार.
जवाब देंहटाएंकुछ धार्मिक मूल्यों के अलावे भी (हालांकि धार्मिक मूल्य भी किसी या इसी तर्क पर ही रहे होंगे) अमरीका, कनाडा और अनेकों पश्चिमी देशों में इसे preventative medicine (सुरक्षात्मक उपचार) माना गया और एक बड़े अनुपात में बच्चों का जन्म के समय Circumcision किया जाता रहा है. मेरे जानने में ही मेरे अनेक हिन्दु दोस्तों के बच्चे, जो यहाँ पैदा हुए हैं, का Circumcision हुआ है.
प्रक्रिया जितनी जटिल और कष्टकारी तस्वीरों को देखकर लग रही है, वैसी दरअसल है नहीं. इससे भयानक और कष्टकारी तस्वीरें किसी भी छोटी सी शल्य क्रिया की हो सकती हैं.
मुझे यह भी ज्ञात है कि गांवों या अन्य जगहों में मजहब के नाम पर जब यही प्रक्रिया, बिना स्टर्लाइजेशन और अवैज्ञानिक तौर पर की जाती है, तो उसके दुष्परिणाम और तकलीफें असहनीय होती हैं मगर यह स्थिति तो हर नीम हकीमी इलाज के साथ है.
ऐसे विषयों पर लिखने के लिए साहस की जरुरत तो है ही मगर प्रस्तुत करने के लिए भी उतने ही साहस की.
साधुवाद!!
यह आंकड़े देखिये. प्रतिशत देखकर चौंकियेगा मत:
जवाब देंहटाएंthe prevalence of circumcision among US-born males was approximately 70%, 80%, 85%, and 77% for those born in 1945, 1955, 1965, and 1971 respectively.reported that the prevalence of circumcision among US-born males was 91% for males born in the 1970s and 84% for those born in the 1980s.Between 1981 and 1999, National Hospital Discharge Survey data from the National Center for Health Statistics demonstrated that the infant circumcision rate remained relatively stable within the 60% range, with a minimum of 60.7% in 1988 and a maximum of 67.8% in 1995
and 2005 national circumcision rate at 56%
@ दिव्या जी,
जवाब देंहटाएंआप की वस्तुनिष्ठता को साधुवाद। आप ने बाकी महिलाओं को ऐसे मुद्दों पर बहस के लिए आगे आने को प्रेरित किया है। आप ने मूल भावना को भी पकड़ा है - a male's right to genital integrity and choice for his own body
आगे हम female circumcision पर भी चर्चा करेंगे।
@ अमरेन्द्र जी,
काहे बोझा ढो रहे हैं? उतार फेंकिए और मुक्त हो पढ़िए और टिप्पणी कीजिए। "स्वाभाविकता क्या कहती है ? कबीर की कविता याद आयी ?" कह कर आप ने अपनी छाप छोड़ी है। एक सार्थक टिप्पणी। आभार।
@ समीर जी,
उत्साह वर्धन के लिए धन्यवाद। अगले लेखों में हम कथित preventative medicine (सुरक्षात्मक उपचार) वाले पहलू पर प्रतिवाद (antithesis) प्रस्तुत करेंगे। सांख्यिकी के लिए आभार। घटता हुआ प्रतिशत ध्यान देने योग्य है।
दिव्या जी ( zeal) के शब्दों में कहें तो a male's right to genital integrity and choice for his own body महत्त्वपूर्ण है।
हाँ, एक शिशु या नवजात के उपर किए जाने वाले इस शल्य कर्म के सम्भावित पश्चात प्रभावों पर भी आगे के लेखों में विचार किया जाएगा।
जवाब देंहटाएंहमारे यहा कुछ नाईयो के बोर्ड पर लिखा यहा खतना कराया जाता है
जवाब देंहटाएंअभी सिर्फ़ हाजिरी लगाइए...
जवाब देंहटाएंबाद के आलेखों के बाद ही कुछ कहेंगे...
कुछ अनुभव और जानकारियां हमारे पास भी हैं...
यह पहली बार देखा..समझा है...
कई ग्रंथियां खुली...
एक कमी पूरी की आपने...आभार...
जो बच्चा जन्म लेते ही इस अमानवीय यातना से गुजरेगा वो आतंकवादी ही तो बनेगा
जवाब देंहटाएं@ HTF जी
जवाब देंहटाएंइस क्रिया के अवचेतन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं - ऐसे शोध तो उपलब्ध हैं लेकिन इतनी दृढ़ता और निश्चय के साथ आतंकवाद के लिए कोई इसे ज़िम्मेदार नहीं मानता।
आतंकवादी होने में परिवेश, परिस्थितियाँ, शिक्षा, संस्कृति, समाज और मनुष्य का स्वभाव बहुत से कारक जिम्मेदार होते हैं। अक्षत व्यक्ति भी आतंकवादी हो सकता है।
अमेरिका में यह बिलियन डालर का धंधा है जबकि ब्रिटेन में नहीं -
जवाब देंहटाएंआपने बहुत उचित मुद्दा उठाया है !
निश्चित ही ऐसे आपरेशन जीवन में दूरगामी बुरे प्रभाव डालते हैं !
यह देख लीजिए
जवाब देंहटाएंuff !
जवाब देंहटाएंदिल कड़ा करके पढ़ा था । लेकिन अंत में पता चला कि मेरा दिल उतना मजबूत नहीं निकाला जितना मैं समझता था । खैर । एक बढ़िया चिकित्सकीय जानकारी के लिये आभार ।
जवाब देंहटाएंइस विषय को हम लोगो तक पहुंचाने के लिये धन्यवाद ।
जवाब देंहटाएंराव जी ! इस बात पर भी विमर्श की आवश्यकता है कि भारत में खतने की प्रासंगिकता क्या और कितनी है . अस्तु, पहले देख लिया जाय कि धार्मिक दृष्टि से इसका क्या महत्त्व है.
जवाब देंहटाएंCircumcision: according to the Bible
We read very clear instructions about circumcision in the present Bible, in the book of Genesis:
Abraham was 99 years old. God appeared to him and said, 'I am God Almighty. Walk before Me and be perfect. I may make you father of many nations. You shall be circumcised in the flesh of your foreskin. This shall be the mark of the covenant between Me and you. Abraham was 99 years old when he was circumcised on the flesh of his foreskin. His son Ishmael was thirteen years old when the flesh of his foreskin was circumcised. On that very day Abraham and his son Ishmael were circumcised. And all the males of his household. [Genesis, chapter 17]
The Prophet Muhammad(peace be upon him) said:"The characteristics ofnatural religion are five:• Circumcision,• Removing pubic hair,• Clipping the mustache,• Paring the nails, and• Plucking the hair underthe armpits."[Abu Hurayra reported Hadith inby Al-Bukhari and Mulsim, in Chapter : Tahara]
और अब चिकित्सा विज्ञान की दृष्टि से खतना के लाभ
Dr. Muhammad 'Ali al-Baar (a member of the Royal College of Surgeons in the UK and a consultant to the Islamic Medicine department of the King Fahd Centre for Medical Research in the King Abdul Aziz University in Jeddah) says in his book al-Khitaan (Circumcision):
"Circumcision of newborn boys (I.e., within the first month of life) brings numerous health benefits, including:
1 – Protection against local infection in the penis, which may result from the presence of the foreskin, causing tightening of the foreskin, which may lead to retention of urine or infections of the glans (tip) of the penis – which require circumcision in order to treat these problems. In chronic cases, the child may be exposed to numerous diseases in the future, the most serious of which is cancer of the penis.
2 – Infections of the urethra. Many studies have proven that uncircumcised boys are more exposed to infection of the urethra. In some studies the rate was 39 times more among uncircumcised boys. In other studies the rate was ten times more. Other studies showed that 95% of children who suffered from infections of the urethra were uncircumcised, whereas the rate among circumcised children did not exceed 5%.
In children, infection of the urethra is serious in some cases. In the study by Wisewell on 88 children who suffered infections of the urethra, in 36 % of them, the same bacteria was found in the blood also. Three of them contracted meningitis, and two suffered renal failure. Two others died as a result of the spread of the micro-organisms throughout the body.
3 – Protection against cancer of the penis: the studies agree that cancer of the penis is almost non-existent among circumcised men, whereas the rate among uncircumcised men is not insignificant. In the US the rate of penile cancer among circumcised men is zero, whilst among uncircumcised men it is 2.2 in every 100,000 of the uncircumcised population. As most of the inhabitants of the US are circumcised, the cases of this cancer there are between 750 and 1000 per year. If the population were not circumcised, the number of cases would reach 3000. In countries where boys are not circumcised, such as China, Uganda and Puerto Rico, penile cancer represents between 12-22 % of all cancers found in men; this is a very high percentage.
जवाब देंहटाएं4 – Sexually transmitted diseases (STDs). Researchers found that the STDs which are transmitted via sexual contact (usually because of fornication/adultery and homosexuality) spread more among those who are not circumcised, especially herpes, soft chancres, syphilis, candida, gonorrhea and genital warts.
There are numerous modern studies which confirm that circumcision reduces the possibility of contracting AIDS when compared to their uncircumcised counterparts. But that does not rule out the possibility of a circumcised man contracting AIDS as the result of sexual contact with a person who has AIDS. Circumcision is not a protection against it, and there is no real way of protecting oneself against the many sexually transmitted diseases apart from avoiding fornication/adultery, promiscuity, homosexuality and other repugnant practices. (From this we can see the wisdom of Islamic sharee'ah in forbidding fornication/adultery and homosexuality).
5 – Protection of wives against cervical cancer. Researchers have noted that the wives of circumcised men have less risk of getting cervical cancer than the wives of uncircumcised men.
Health Benefits taken from: al-Khitaan, p. 76, by Dr. Muhammad al-Baar.
And Allah knows best.
तर्क यह है कि खतना शरीर के एक संवेदनशील अंग की स्वछता के लिए किया जाना आवश्यक है. किन्तु भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो इसकी आवश्यकता इस लिए नहीं पड़ती क्योंकि सर्वांग शरीर की स्वछता हमारी नित्यचर्या का एक अनिवार्य भाग है. लघु शंका के समय भी लिंग का जल से प्रच्छालन हमारी नित्य चर्या का एक भाग था जो अब लगभग लुप्त हो चुका है. मैंने कुछ साधुओं को ही ऐसा करते द्देखा है ...सामान्य जनों को नहीं. उद्देश्य था मूत्र बिन्दुओं के साथ साथ लिंगाग्र में त्वचा के नीचे जमने वाले स्मैग्मा को धोना जिससे त्वचीय रोगों और कैंसर जैसी व्याधियों से बचा जा सके. उस समय लोग कैंसर को तो जानते नहीं थे ..लिंग गलने की घातक बीमारी से बचना उद्देश्य रहा होगा.
किसी समय ब्रिटेन में स्नान करना घोर अपराध माना जाता था. स्नान करने के दंड में राज्य से निर्वासन तक का विधान था. इसी तरह अरब और इजरायली देशों में जल की कमी के कारण स्नान न करने की परम्परा के कारण लिंग का खतना करना उनकी परिस्थिति जन्य विवशता रही होगी. आज मुस्लिम देशों में भी लोग नित्य स्नान करने लगे हैं, भारत में स्नान किये बिना तो चैन ही किसे आता है, यहाँ तो दिन में दो-दो बार स्नान करने वाले लोग भी हैं. अतः भारत में खतना विवशता नहीं है.
डा. साहब,
जवाब देंहटाएंकथित मेडिकल लाभों के बारे में कुछ नहीं कहूँगा क्यों कि वह मेरा क्षेत्र नहीं है। धार्मिक मान्यतायें अपनी जगह हैं। खतना के लिये अब्राहम के 99 वर्ष का होने तक ईश्वर रुका रहा, हास्यास्पद है। स्पष्ट है कि तमाम बातों की तरह ही इसमें भी बेचारे ईश्वर को घसीट लिया गया है।
रही बात इस्लामी डाक्टर की तो उनका बैकग्राउंड और जुड़ाव बहुत कुछ कह जाते हैं। कोई अध्ययन ऐसा हो जो यह बताये कि भारत की ऊष्ण नम जलवायु में बिना खतना के ही रहने वाले बहुसंख्यकों में शिश्न कैंसर और स्त्रियों के कैंसर का प्रतिशत खतना कराने वालों की तुलना में कितना है, तो बात स्पष्ट हो। जहाँ तक अमेरिका की बात है तो मूल साइट http://www.circumstitions.com पर बहुत सामग्री दी हुई है।
सिस्टम एनलिसिस में डाटाबेस का आकार महत्त्वपूर्ण होता है और बहुत बार डाटाबेस बढ़ाने से एकदम विपरीत निष्कर्ष निकल आते हैं। सांख्यिकीय गणित का प्रयोग 'शोध' के लिये किया जा रहा है या अपनी 'मान्यता या पूर्वग्रह' को सत्य दिखाने के लिये, यह देखा जाना चाहिये। यह ऐसा क्षेत्र है कि आप मनचाहा परिणाम पा सकते हैं।
अस्तु।
बहुत बहुत धन्यवाद कि आप ने मनोयोग से इसे पढ़ा और अपनी विस्तृत प्रतिक्रिया से अवगत कराया।
किसी भी धर्म में जो भी नियम बनाये जाते है, उसके मूल स्थानीय परिस्थतियों व कालानुसार होते है.
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्ट !
हमाई तो देख सोचकर ही फटी जा रही है, जिस पर बीतती होगी उसकी तो अम्मी ही खुद जाती होगी......🙏 राम ही राखें
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