अब नाश हो ही चुका है (अभिव्यक्ति सौजन्य - मो सम कौन) तो एक ठो विचार और:
आज कल nice का जोड़ीदार very good भी दिख रहा है। मेरा मानना है कि ये दोनो टिप्पणीकर्ता बहुत ही नफासती हैं। असल में जो पोस्ट इन्हें वाहियात लगती है उसे सीधी सीधे कहने के बजाय nice या very good से नवाजते हैं। इसे कहते हैं - अन्दाजे बयाँ ! भई, वाह। आप लोगों के क्या खयाल हैं ?
@nice & very good: ------------------ इस बात पर आपसे असहमत हूं गिरिजेश सर। एक बार साहिर लुधियानवी से किसी ने पूछा था कि आप एक जमींदार घराने से संबंध रखते हैं, लेकिन आपकी नज़्मों में बगावत, नैराश्य, आक्रोश जैसी भावनाओं की भरमार रहती है, क्यों? जवाब था, "दुनिया ने तज़ुर्बात-ओ-हवादिस की शक्ल में, जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूं मैं।" मैं भी इस सोच से सहमत हूं, जो हमें मिला है वही हम लौटाते हैं(generally)| nice और very good वाले कमेंट्स के पीछे भी कुछ ऐसी ही वजह होगी, पर आपकी वाहियात पोस्ट वाली बात मंजूर नहीं है सर। सुमन जी से परिचय नहीं है, महफ़ूज़ मियां से आग्रह करेंगे। हमें एक पोस्ट का मैटीरियल मुहैया करवाने के लिये आपका धन्यवाद :) आजकल कंपनी कुछ घाटे में चल रही है अपनी। प्रश्नों का क्या है, कुछ विराम दे देंगे :))
ही ही ही ही ही ही..... का हो गुरूजी.... हिहिहिहिही.....काहे राऊ रा केनी रिसियत ता ड़..... हमनी के त माजा .... लेहिल जा ला ....ऐई ऐ जा.... भेरी गुड.... टिपियायी के.... उ का ह न ...आजकल ..बहुते लोगन के प्राब्लम ...होला ....हमरा कमेंटवा से... उहे खातिर... ई इस्टाइल अपना लेहिल बाडिन हमनी के....
अरे भई...ये तीन लाईनों का खाली स्थान देकर कह रहे हो कि ऐसा भी हो सकता है कोई टिप्पणी न आए ?
मुश्किल है। आजकल कोई खाली स्थान मिला नहीं कि काबिज होने की होड मच जाती है। खोसला का घोसला टाईप होने लगता है और आप यूँ ही खाली स्थान छोड पूछ रहे हैं कि देखूं यह बचा रहता है कि नहीं ?
टिप्पणी तो देख ही रहे हैं एक के बाद एक आ रही हैं :)
आलसी महाराज सर्वप्रथम आपना ताज आप हमको प्रदान करो, आप कितने भी आलसी हो और पोस्ट करो, टिप्पणी जरूर आयेगी।
आपने तीन लाईन लिख मारी टिप्प्णी तो आयेगी ही... अब ये हमारी बहुत पुरानी पोस्ट आप देखिये.... Aditi-Mahashakti Ka Photo Blog और बताइये इससे बड़ी आलसी पोस्ट होगी ? ;-)
@ महाशक्ति हा हा हा। वह पोस्ट तो वाकई बहुत धाँसू है। उससे बड़ी आलसी पोस्ट यही हो सकती है कि 'खाली' पन्ने को सन् 3000 की 32 जनवरी को प्रकाशित होने के लिए शेड्यूल कर दिया जाय :) लेकिन उसमें कुछ मेहनत अधिक लगेगी शेड्यूल करने में सो आलसीपन की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो जाएगी। अब किस केस में आलसीपन का महायोग कमतर होगा, यह बताना कठिन है।
@ Mahfooz Ali भाया, सुबह देखा तो दो दो मिस्ड काल। मिस्ड नहीं आप ने पूरी मेनहत की होगी बतियाने की। माबदौलत पहली नींद में थे और मोबाइल शयन कक्ष से बाहर था। प्रोबलेम न हो इसलिए इस्टाइल अपनाए थे? तो भई लिखे जाव Very Good, कोई बात नहीं लेकिन 'बहुत अच्छा' लिखेंगे तो हिन्दी की सेवा भी हो जाएगी। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक समय आएगा जब भाषाओं की पहुँच और शक्ति परखने के लिए किस भाषा की कितनी कुल जमा सामग्री नेट पर है इसका हिसाब किताब किया जाएगा। इसलिए कुछ भी लिखें हिन्दी में लिखें और नागरी लिपि में लिखें। .. हमरे साथ एक झा जी थे। उन्हें कोई बात पसन्द आती थी तो कहते थे - 'बहुत खराब' ! :) अब इस पर क्या कहा जाय ? .. __________________________
गम्भीर प्रश्न क्या ऐसा कुछ लिखा जा सकता है जिस पर एक भी टिप्पणी न आए ? अभी भी अनुत्तरित है भद्र जनों ! कृपया उत्तर देने का प्रयत्न करें।
@ विचार शून्य ...... की जगह 00000 लिखना था। @अमिताभ मीत हमारी सोच संक्रामक होती है। @ अभिषेक ओझा शुक्रिया बन्धु ! आप मर्म समझ गए। @ वडनेरकर जी, आदेश का पालन होगा। @ अरविन्द जी कृतार्थ भए। आप ने अभिधाहीन टिप्पणी कर इस पोस्ट का मान रखा। @ सतीश जी ये हुई प्रोगामर वाली बात ! @ अनूप शुक्ल बेचारे हम इसी तरह से बाजी मार सकते हैं। @ प्रवीण जी एकदम टू द प्वाइंट। @ समीर जी प्रभु तेरे गुन पर मुगध रहूँ। समदर्शी प्रभु नाम हमारो किरपा हाथ धरो। आप की टिप्पणी में विनम्रता और चुटकी का संगम भया है। @ दिव्या जी Provided के आगे चार बिन्दी दे कर आप ने बिन्दु विधा के नियम का उल्लंघन किया है। तीन ही होने चाहिए। विश्वास न हो तो http://abhivyakti-hindi.org की नियमावली देख लें। @ मिथिलेश जी आप भी पधारे ! हम धन्य भए। @ रचना जी एक ठो हुसैन आप के यहाँ भी हैं। उनकी पिछली पोस्ट पर चित्रकारी हम देख लिए हैं। अद्भुत अभिव्यक्ति के लिए अनूप जी से सहमत होने के लिए धन्यवाद। वैसे कायदे से धन्यवाद उन्हें देना चाहिए लेकिन अब दुबारा थोड़े इस पोस्ट पर आएँगे - सो मैं ही दे दे रहा हूँ । @शोभना जी, अपनी टिप्पणी हटा कर आप ने ठीक किया है। इसे मैं 'टिप्पणीहीन' टिप्पणी कहता हूँ। @ धीरू जी आज आप ने विवेक सिंह की याद दिला दी। वैसे यह जुगत सफल नहीं होगी। पठ्ठियों और दरम्याना लोगों पर असफल हो जावेगी। वैसे पठ्ठे भी कहाँ मानते हैं ? वो दीवार पर लिखा रहता है देखो यहाँ गदहा ... फिर भी हाजत रफा दफा कर ही लेते हैं। @ संजीव राणा जी म्हारे स्वास्थ्य की फिकर करने के लिए धन्यवाद। असल में क्षुद्र लेखों को लिखते लिखते तबियत सही में खराब हो चली थी सो यह कालजयी पोस्ट लिख दिए। @ मनोज जी आप का पर्यवेक्षण सही है। इसे इतने सारे प्रश्नों में मत उलझाइए।
कृपया विषय से सम्बन्धित टिप्पणी करें और सभ्याचरण बनाये रखें। प्रचार के उद्देश्य से की गयी या व्यापार सम्बन्धित टिप्पणियाँ स्वत: स्पैम में चली जाती हैं, जिनका उद्धार सम्भव नहीं। अग्रिम धन्यवाद।
विचारते हैं।
जवाब देंहटाएं@ कुमार राधारमण जी
जवाब देंहटाएंअरे महराज ! टिप्पणी कर, वह भी इतनी जल्दी, आप ने एक महान आलसी पोस्ट का नाश कर दिया :)
विचारते रहते - कहने की क्या ज़रूरत थी?
;)
अब साहब जी, नाश हो ही चुका है तो सवा सत्यानाश क्यूं न हो?
जवाब देंहटाएंकर दिया बिना विचारे, पाछे तो पछताना है ही :)
Very Good...
जवाब देंहटाएंसही है भाई.. आप ने तो सोच में डाल दिया है !!
जवाब देंहटाएंअब नाश हो ही चुका है (अभिव्यक्ति सौजन्य - मो सम कौन) तो एक ठो विचार और:
जवाब देंहटाएंआज कल nice का जोड़ीदार very good भी दिख रहा है। मेरा मानना है कि ये दोनो टिप्पणीकर्ता बहुत ही नफासती हैं। असल में जो पोस्ट इन्हें वाहियात लगती है उसे सीधी सीधे कहने के बजाय nice या very good से नवाजते हैं। इसे कहते हैं - अन्दाजे बयाँ !
भई, वाह। आप लोगों के क्या खयाल हैं ?
@nice & very good:
जवाब देंहटाएं------------------
इस बात पर आपसे असहमत हूं गिरिजेश सर।
एक बार साहिर लुधियानवी से किसी ने पूछा था कि आप एक जमींदार घराने से संबंध रखते हैं, लेकिन आपकी नज़्मों में बगावत, नैराश्य, आक्रोश जैसी भावनाओं की भरमार रहती है, क्यों?
जवाब था, "दुनिया ने तज़ुर्बात-ओ-हवादिस की शक्ल में, जो कुछ मुझे दिया है वो लौटा रहा हूं मैं।"
मैं भी इस सोच से सहमत हूं, जो हमें मिला है वही हम लौटाते हैं(generally)|
nice और very good वाले कमेंट्स के पीछे भी कुछ ऐसी ही वजह होगी, पर आपकी वाहियात पोस्ट वाली बात मंजूर नहीं है सर।
सुमन जी से परिचय नहीं है, महफ़ूज़ मियां से आग्रह करेंगे। हमें एक पोस्ट का मैटीरियल मुहैया करवाने के लिये आपका धन्यवाद :) आजकल कंपनी कुछ घाटे में चल रही है अपनी। प्रश्नों का क्या है, कुछ विराम दे देंगे :))
ही ही ही ही ही ही..... का हो गुरूजी.... हिहिहिहिही.....काहे राऊ रा केनी रिसियत ता ड़..... हमनी के त माजा .... लेहिल जा ला ....ऐई ऐ जा.... भेरी गुड.... टिपियायी के.... उ का ह न ...आजकल ..बहुते लोगन के प्राब्लम ...होला ....हमरा कमेंटवा से... उहे खातिर... ई इस्टाइल अपना लेहिल बाडिन हमनी के....
जवाब देंहटाएंपर आपकी वाहियात पोस्ट वाली बात मंजूर नहीं है सर।
जवाब देंहटाएंपर अबसे वैरी गुड बंद.... खासकर अपनों के पोस्ट पर तो बिल्कुल भी नहीं.....
जवाब देंहटाएंदेख ली सर जी, फ़त्तू की टैलीपैथी और हमारे महफ़ूज़ भाई की फ़ुर्ती।
जवाब देंहटाएंतो हमारी संभावित पोस्ट कैंसिल, और सवासत्यानाशीकरण कार्यक्र्म आगे बढ़ाया जाता है:)
मतलब ये कि टिपण्णी कोई मानक नहीं... जो इतराते हैं ज्यादा टिपण्णी पर सोच लें ;)
जवाब देंहटाएंअवकाश लेने के बावजूद दफ्तर से फोन आना कभी बंद हुआ है?
जवाब देंहटाएंऐसी ही चंद मिसालें और सोचिए, फिर इस सवाल को डिलीट करने की वजह अपने आप पता चल जाएगी।
नो कमेंट्स !
जवाब देंहटाएंअरे भई...ये तीन लाईनों का खाली स्थान देकर कह रहे हो कि ऐसा भी हो सकता है कोई टिप्पणी न आए ?
जवाब देंहटाएंमुश्किल है। आजकल कोई खाली स्थान मिला नहीं कि काबिज होने की होड मच जाती है। खोसला का घोसला टाईप होने लगता है और आप यूँ ही खाली स्थान छोड पूछ रहे हैं कि देखूं यह बचा रहता है कि नहीं ?
टिप्पणी तो देख ही रहे हैं एक के बाद एक आ रही हैं :)
आलसी महाराज सर्वप्रथम आपना ताज आप हमको प्रदान करो, आप कितने भी आलसी हो और पोस्ट करो, टिप्पणी जरूर आयेगी।
जवाब देंहटाएंआपने तीन लाईन लिख मारी टिप्प्णी तो आयेगी ही... अब ये हमारी बहुत पुरानी पोस्ट आप देखिये.... Aditi-Mahashakti Ka Photo Blog और बताइये इससे बड़ी आलसी पोस्ट होगी ? ;-)
@ महाशक्ति
जवाब देंहटाएंहा हा हा। वह पोस्ट तो वाकई बहुत धाँसू है। उससे बड़ी आलसी पोस्ट यही हो सकती है कि 'खाली' पन्ने को सन् 3000 की 32 जनवरी को प्रकाशित होने के लिए शेड्यूल कर दिया जाय :)
लेकिन उसमें कुछ मेहनत अधिक लगेगी शेड्यूल करने में सो आलसीपन की मात्रा में बढ़ोत्तरी हो जाएगी। अब किस केस में आलसीपन का महायोग कमतर होगा, यह बताना कठिन है।
@ Mahfooz Ali
जवाब देंहटाएंभाया, सुबह देखा तो दो दो मिस्ड काल। मिस्ड नहीं आप ने पूरी मेनहत की होगी बतियाने की। माबदौलत पहली नींद में थे और मोबाइल शयन कक्ष से बाहर था।
प्रोबलेम न हो इसलिए इस्टाइल अपनाए थे? तो भई लिखे जाव Very Good, कोई बात नहीं लेकिन 'बहुत अच्छा' लिखेंगे तो हिन्दी की सेवा भी हो जाएगी। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक समय आएगा जब भाषाओं की पहुँच और शक्ति परखने के लिए किस भाषा की कितनी कुल जमा सामग्री नेट पर है इसका हिसाब किताब किया जाएगा। इसलिए कुछ भी लिखें हिन्दी में लिखें और नागरी लिपि में लिखें।
.. हमरे साथ एक झा जी थे। उन्हें कोई बात पसन्द आती थी तो कहते थे - 'बहुत खराब' ! :) अब इस पर क्या कहा जाय ? ..
__________________________
गम्भीर प्रश्न क्या ऐसा कुछ लिखा जा सकता है जिस पर एक भी टिप्पणी न आए ? अभी भी अनुत्तरित है भद्र जनों !
कृपया उत्तर देने का प्रयत्न करें।
अद्बुत पोस्ट! वाह! क्या अभिव्यक्ति है।
जवाब देंहटाएंशायद नहीं । :)
जवाब देंहटाएंनाम गर हो गिरिजेश...
जवाब देंहटाएंतो शायद नहीं...
समीर लिख देते तो
संभव था यहीं...
:)
@-क्या ऐसा कुछ लिखा जा सकता है जिस पर एक भी टिप्पणी न आए ?
जवाब देंहटाएंYes, It is Possible !
provided....
hmmmmmmmmmmmmm
जवाब देंहटाएंबिल्कुल लिखा जा सकता है। मकबूल फ़िदा हुसैन जैसे महान चित्रकार यूँ ही नहीं बन गये, जरूर उनकी चित्रकारी में भी ऐसा ही कोई राज छिपा होगा।
जवाब देंहटाएंअनूप शुक्ल जी से सहमत।:)
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबिल्कुल लिखा जा सकता है। मकबूल फ़िदा हुसैन जैसे महान चित्रकार यूँ ही नहीं बन गये, जरूर उनकी चित्रकारी में भी ऐसा ही कोई राज छिपा होगा।
जवाब देंहटाएंअनूप शुक्ल जी से सहमत।:)
शायद यह .. इस पोस्ट पर सिर्फ़ उल्लू के पठ्ठे ही टिप्पणी करे .
जवाब देंहटाएंमिया आपने लिखने की ही जहमत क्यों उठाई आलसी महाराज
जवाब देंहटाएंइतना ज्यादा लिखोगे तो तबीयतखराब हो जायेगी .
जवाब देंहटाएंअब यही करना होगा????
जवाब देंहटाएं@ विचार शून्य
जवाब देंहटाएं...... की जगह 00000 लिखना था।
@अमिताभ मीत
हमारी सोच संक्रामक होती है।
@ अभिषेक ओझा
शुक्रिया बन्धु ! आप मर्म समझ गए।
@ वडनेरकर जी,
आदेश का पालन होगा।
@ अरविन्द जी
कृतार्थ भए। आप ने अभिधाहीन टिप्पणी कर इस पोस्ट का मान रखा।
@ सतीश जी
ये हुई प्रोगामर वाली बात !
@ अनूप शुक्ल
बेचारे हम इसी तरह से बाजी मार सकते हैं।
@ प्रवीण जी
एकदम टू द प्वाइंट।
@ समीर जी
प्रभु तेरे गुन पर मुगध रहूँ।
समदर्शी प्रभु नाम हमारो किरपा हाथ धरो।
आप की टिप्पणी में विनम्रता और चुटकी का संगम भया है।
@ दिव्या जी
Provided के आगे चार बिन्दी दे कर आप ने बिन्दु विधा के नियम का उल्लंघन किया है। तीन ही होने चाहिए। विश्वास न हो तो http://abhivyakti-hindi.org की नियमावली देख लें।
@ मिथिलेश जी
आप भी पधारे ! हम धन्य भए।
@ रचना जी
एक ठो हुसैन आप के यहाँ भी हैं। उनकी पिछली पोस्ट पर चित्रकारी हम देख लिए हैं। अद्भुत अभिव्यक्ति के लिए अनूप जी से सहमत होने के लिए धन्यवाद। वैसे कायदे से धन्यवाद उन्हें देना चाहिए लेकिन अब दुबारा थोड़े इस पोस्ट पर आएँगे - सो मैं ही दे दे रहा हूँ ।
@शोभना जी,
अपनी टिप्पणी हटा कर आप ने ठीक किया है। इसे मैं 'टिप्पणीहीन' टिप्पणी कहता हूँ।
@ धीरू जी
आज आप ने विवेक सिंह की याद दिला दी। वैसे यह जुगत सफल नहीं होगी। पठ्ठियों और दरम्याना लोगों पर असफल हो जावेगी। वैसे पठ्ठे भी कहाँ मानते हैं ? वो दीवार पर लिखा रहता है देखो यहाँ गदहा ... फिर भी हाजत रफा दफा कर ही लेते हैं।
@ संजीव राणा जी
म्हारे स्वास्थ्य की फिकर करने के लिए धन्यवाद। असल में क्षुद्र लेखों को लिखते लिखते तबियत सही में खराब हो चली थी सो यह कालजयी पोस्ट लिख दिए।
@ मनोज जी
आप का पर्यवेक्षण सही है। इसे इतने सारे प्रश्नों में मत उलझाइए।
जो स्थिति ब्लॉग जगत की चल रही है उसमें यही यथार्थ रूप है.
जवाब देंहटाएं@ चार बिन्दी दे कर आप ने बिन्दु विधा के नियम का उल्लंघन किया है। तीन ही होने चाहिए।
जवाब देंहटाएंGirijesh ji,
your post is full of dots, so i got infected and hence the error....lol
"no body comes,
जवाब देंहटाएंno body goes....
nothing happens.....
its awful!!!!!!!!!!!!!!