- बेटे, आज तिरंगा झण्डा बनाओ।
- ? (ये तो मुझसे बहुत कम बात करते हैं। ऐसा तो कभी नहीं किए !)
- अरे, देख क्या रहे हो? इंटरनेट पर छापेंगें।
खुश दिखते हैं। उनकी मम्मी प्रोत्साहित करती हैं।
- पेपर ही नहीं है। चार्ट पेपर पर बना दूँ ? (पहला प्रश्न)
- मेरे लैप टॉप से ले लो।
(पेपर ले आने के बाद)
- इसे इस तरह बनाऊँ कि इस तरह? (मतलब लैण्डस्केप या पोर्ट्रेट) (दूसरा प्रश्न)
- ऐसे (पोर्ट्रेट)
- बड़ा बनाऊँ या बीच का या छोटा? (तीसरा प्रश्न)
- ?
- अरे मीडियम बनाऊँ क्या ? (चौथा प्रश्न)
- हाँ |
- झण्डा सीधा बनाऊँ या लहरदार ? (पाँचवा प्रश्न)
- लहरदार।
- पापा कठिन है।
बनाने पर लग जाते हैं।
- ये बताइए बैकग्राउण्ड बनाऊँ की नहीं? (छठा प्रश्न)
(अब मैं चकित हो रहा हूँ।)
- बना दो।
- रात का या दिन का? (सातवाँ प्रश्न)
(चकित होने की प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है। अब रुचि पूर्वक अवलोकन की बारी है।)
- दिन का । बेटे झण्डा रात में नहीं फहराते।
- लेकिन दिन में सूरज रहता है। उसको कैसे रंग सकते हैं? (आठवाँ प्रश्न)
- चाहे जैसे रंग दो।
- अच्छा। ये बताइए बादलों के रंग नीले के अलावा क्या बनाऊँ ? (नवाँ प्रश्न)
(अबे, बादल नीले कहाँ होते हैं। तुम तो मान भी बैठे हो। – इंजीनियरिंग कॉलेज वाला शैतान मन जागता है, पर बोलता नहीं)
- लाल, काला, पीला ।
- पिंक और नारंगी रंग दूँ? (दसवाँ प्रश्न)
- चाहे जैसे कर दो।
(बना कर ले आते हैं।)
- अरे ! जय हिन्द को अंग्रेजी में लिख दिया !
(मेरा मतलब रोमन लिपि से है।)
- मुझे लिखना नहीं आता।
(नाक कटा दी नासपीटे ने। वर्तनी बताता हूँ।)
- इतना आसान ! मैं ऐसे ही लिख लेता !
- ?!@#$?
- पापा इसे डेस्कटॉप पर क्यों नहीं लगाते ? (ग्यारहवाँ प्रश्न)
- उस पर नहीं जमेगा।
- प्रिंटर से निकाले हैं इसलिए ? (बारहवाँ प्रश्न)
(अबे घोंचू, स्कैनर बोलो। डेस्कटॉप पर न लगने से इसका क्या सम्बन्ध? - इंजीनियरिंग कॉलेज वाला शैतान मन फिर जागता है, पर बोलता नहीं)
- नहीं बेटे, इसे इंटर्नेट पर छापेंगे।
- तब तक मैं स्नेक खेल लूँ ? (तेरहवाँ प्रश्न)
- हाँ
(ऑफिस का लैप टॉप निकाल कर यह लिखना प्रारम्भ करता हूँ। मान्यवर घरेलू लैप टॉप पर स्नेक खेलते गुनगुना रहे हैं)।
- हो जाय तो बता दीजिएगा।
(जो हुक्म मेरे आका)
संतोष है कि जूनियर (अरिन्दम राव) वैसा ही है जैसा सीनियर (गिरिजेश राव) बचपन में था। लगता है कि भविष्य ठीक है।
नई पीढ़ी हमारी आप की तुलना में अधिक समर्थ और अग्रगामी होगी।
जय हिन्द।
यक्ष प्रश्न- आप ने कैसे मान लिया आप जैसा ही है जूनियर, आप से बेहतर क्यूं नहीं.
जवाब देंहटाएंअरे बन्धु, बेहतर कहा। 'अपने जैसा' इसलिए कहा कि बचपन में मैं भी ऐसे ही पिताजी का 'भेजा' फ्राई किया करता था।
जवाब देंहटाएंबेटा बाप से बढ़कर निकला। अच्छा है। कुल और देश का नाम रोशन करेगा। जल्दी से नागरी लिपि का उसका ज्ञान बढ़ाएं, इसमें बाप का ही दोष ज्यादा है।
जवाब देंहटाएंऔर बाप-बेटे दोनों को जय हिंदी और जय हिंद!
इन बालसुलभ प्रश्नों का आनन्द लीजिए जी। भेजा फ्राई तो बस नजरिया बदल लेने से मिट जाएगा।
जवाब देंहटाएंमैं ऑफिस से थककर जब लौटता हूँ तो सिर्फ़ एक काम कर पाता हूँ। बिस्तर पर हाथ-पैर फैलाकर लम्बा लेट जाना। उस समय आँखें बन्द रखना अच्छा लगता है, लेकिन ‘सत्यार्थ जी’ जब पेट पर चढ़कर मेरा ‘हाल-चाल’ पूछने लगते है तो उनको हूँ-हाँ में ही जवाब देते हुए थकान जल्दी मिट जाती है।
निश्छल और जिज्ञासु बातों का मुक्त मन से आनन्द लीजिए, सच में ब्लॉगरी से अधिक आनन्द आएगा।
@ अन्ना,
जवाब देंहटाएंअरे, शैतान को देवनागरी खूब आती है। मुझे भी आश्चर्य हुआ। लेकिन बताने पर भोला जवाब तो देखिए,"इतना आसान ! मैं तो ऐसे ही कर लेता।"
राजीव जी ने बिलकुल सही कहा है
जवाब देंहटाएं“स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
आत्मा वै जायते पुत्रः -जूनियर गिरिजेश राव को आशीर्वचन ! क्या जोरदार तिरंगा लहराया है !
जवाब देंहटाएंशानदार ! बच्चे महान हैं! उनसे ही मां- बाप लोगों की शान हैं!
जवाब देंहटाएंपिता-पुत्र संवाद पढ़कर मज़ा आ गया. बचपन में तो हमें भी सब झेल लेते थे मगर जब काफी बड़े हो गए तो नाना जी ने एक बार याद ज़रूर दिलाया, "सवाल बहुत करते हो तुम"
जवाब देंहटाएंश्रीमान अरिंदम राव को हमारा सलाम पहुंचे, बहुत खूबसूरत चित्र बनाया है (और वह भी सारे स्पेसिफिकैशन्स को ध्यान में रखते हुए.) ... और हाँ, स्वतन्त्रता दिवस की बधाई. अगर अरिंदम के स्कूल में मिठाई मिली हो तो थोड़ी हमारे लिए भी रख लें, लखनऊ आकर खाएँगे.
आजकल के बच्चे .. कान काटते हें मां बाप के .. कोई शक नहीं कि .. भारत का भविष्य उज्जवल है .. जन्माष्टमी और स्वतंत्रता दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!!!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी खबर है ये तो. होनहार है.
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की घणी रामराम.
स्व्तंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ्कामनाएं! और अरिन्दम के लिये------जियो मेरे लाल! नि:संदेह अरिन्दम ***आपसे बहुत ही आगे जायेगा...........
जवाब देंहटाएंयह हुई विशुद्ध ब्लॉगिंग की पोस्ट। साहित्य का कोई संक्रमण नहीं!
जवाब देंहटाएंबालक बहुत मेधावी है। झण्डे के ऊपर जो विस्तृत आकाश बनाया है, वह दर्शाता है कि सीमायें स्वीकार नहीं करेगा!
बहुत सुन्दर पोस्ट ,
जवाब देंहटाएंबच्चों के प्रश्न तो माशा अल्ला होते ही हैं,
हमारा बड़का पूछता है: एक मुट्ठी भर हवा चींटी के साँस लेने के लिये कितने दिन के लिए पर्याप्त होगी ?
स्वतन्त्रता दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं !
'नई पीढ़ी हमारी आप की तुलना में अधिक समर्थ और अग्रगामी होगी। '
जवाब देंहटाएंbilkul sahi kahte hain aap.
Sawantrta diwas ki shubhkamnayen.
नई पीढ़ी की अग्रगामी सोच के कायल तो हम भी हैं ।
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनायें ।
आपके भीतर का इंजीनियर भले बार बार सर उठाता रहा, एक कलाकार के जीवट के आगे टिक न सका. और हाँ लगे हाथ याद आया कि हमारी छोटी बिटिया भी इसी तरह पन्नों पर लाल- नीला करती रहती है. नेट पर छापने का झांसा दिया जा सकता है. नन्हे कलाकार को सलाम और १५ अगस्त की बधाई.
जवाब देंहटाएंबच्चे के प्रति ढेर सारी शुभकामनाओं के लिए आप सबका आभारी हूँ।
जवाब देंहटाएंब्लॉग जगत में संयुक्त परिवार वाली 'आत्मीयता'अभी भी शेष है। 'नए' जन भी आए और शुभकामनाएँ दे गए। अभिभूत हूँ।
हाँ, यह सन्देश अंत नहीं है। आप बाद में भी सन्देश दे सकती/ते हैं।
एक आलसी के स्फूर्तिदायक काम और भविष्य की पीढी के अग्रदूत के प्रश्नों को पढ़ का मन प्रसन्न हो गया है.
जवाब देंहटाएंपूत के पांव लेपटाप पर ।
जवाब देंहटाएंभतीजा ज़हीन है । चचा का नाम रोशन करेगा ।
इधर 3-4 दिन इलाहाबाद से बाहर था इसलिये इधर आ न सका । ।