सोमवार, 31 मई 2010

नमस्तस्यै

27052010(001)

चित्राभार : इंडियन एक्सप्रेस

10 टिप्‍पणियां:

  1. आह... कलेजे में ठण्ड पड़ गई ...मातृ शक्ति के सामने शीश नवाने वाले इस व्यक्ति की छलांग काफी नपी तुली है अपने साइज़ से ना ज्यादा ना कम ! नाप तोल में ज़रा भी अलसाता तो मुश्किल में पड़ जाता !

    गिरिजेश जी सच कहूं तो मुझे चित्र ज़रा भी व्यंग्यात्मक नहीं लगा आप भी कल्पना करिये जयाम्मा की जगह किसी अन्य महिला या पुरुष राजनेता की ( कल्पना में कोई दल बंधन नहीं है ) क्या आपको तब भी आम आदमी का दंडवत होना कुछ अलग लगता ! इस देश के लोकतंत्रीय मायासंसार में साधारण नागरिकों / कार्यकर्ताओं को दंडवत होने और '..च्चे' '..पाड़ों' ( रिक्त स्थान में ल अक्षर का मनचाहा प्रयोग करें ) को पूज्यनीय होने का वरदान मिला है ! पढ़े लिखों को विषवमन से फुर्सत नहीं तो इस तरह की फुटेज पर आश्चर्य कैसा ?

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  2. धुंधली होने के कारण तस्वीर की अर्थवत्ता थोड़ी घटी है। फिर भी,इतना कहना है कि जो लोग गुप्त रूप से दंडवत् रहते हैं,उनसे भले हैं ये लोग जिनका कोई हिड्न एजेंडा नहीं है।

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  3. कोई नई बात नहीं है जी। ’इन्दिरा इज़ इन्डिआ एंड इन्डिया इज़ इन्दिरा’ वाला प्रकरण यदि सच हो सकता है, झेला जा सकता है तो इसमें क्या अनोखा है।
    जिसे नतमस्तक होना है, वो होगा ही, यहां नहीं तो कहीं और सही, आखिर हैं तो हम सब ,,,,,,,।

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  4. @-द ग्रेट इंडियन पॉलिटीकल नौटंकी :)

    Male nautanki rather !

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  5. तस्वीर पुरानी है मगर प्रासंगिकता अभी भी उतनी ही है........मेमोरी रेवाईंड सी हो गयी.....! वाह गिरिजेश जी वाह.....!

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  6. @singhsdm

    इंडियन एक्सप्रेस की मानें तो पुरानी नहीं 26/05/10 की फोटो है।

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