सोमवार, 2 मई 2011

बजरलंठ ब्लॉगर समारोग

प्रस्तावना:
पिछ्ली पोस्ट में मैंने एक फोटो लगा कर उसके किसी ब्लॉगर का फोटो होने की सम्भावना के बाबत पूछा था। अभी पर्याप्त उत्तर आ गये हैं (इससे अधिक मेरे ब्लॉग पर आते भी नहीं :)अब खुलासा करते हैं।
 अपनी गम्भीर छवि (;) हा,हा,हा!) के विपरीत मैं चेहराकिताब (facebook अनुवाद साभार - योगेन्द्र सिंह शेखावत) पर मित्रों को यूँ ही कोंचा करता हूँ। मित्र लोग भी खूब आनन्द लेते हैं। एक नमूना देखिये:

      • Saturday at 12:40pm


  • फेसबुक पर किसी को poke क्यों किया जाता है? Poke Back के क्या मायने होते हैं?
    मासूम प्रश्नों के मासूम उत्तर अपेक्षित हैं। :)
    Saturday at 5:55pm ·  · 

      • Yogendra Singh Shekhawat पोक करने का अर्थ तो कुछ घुसाने या लकड़ी करने से है होता है न |जैसे याहू मैसेंजर में "बज़" करने का रिवाज़ है वैसे ही यहाँ कुछ लकड़ी करने का रिवाज़ है |
        Saturday at 6:44pm ·  ·  2 people

      • Girijesh Rao कुछ अधिक ही 'मासूम' उत्तर है। धन्यवाद :)
        Saturday at 6:46pm via  ·  ·  2 people

      • Rajkumar Singh गिरिजेश जी , चिकोटी ,गुदगुदी ,चुटकी ..........कैसे रहेगी पोक के लिए ? या ज्यादा गंभीर होना है तो ठेल देना !
        Saturday at 7:09pm ·  ·  2 people

      • Girijesh Rao सही हैं सब। समझ में आ गया। धन्यवाद :)
        Saturday at 7:12pm via  ·  ·  1 person

      • Arvind Mishra Bade jaldi samajh gaye;-)
        Magar aisa log bag karte karwate kyon hain?
        Abhi ek FB YAUVANA ne mujhe poke kiya,fb ne sanket kiya ji main ab unhe pok kar dun so kar diya,ab mujhe pataa nahi ki ve poked hui bhi ya nahi!

        Saturday at 7:41pm ·  ·  4 people

      • Yogendra Singh Shekhawat मेरा एक दोस्त बहुत Poke करता है, जब भी वह Poke करता है, फेसबुक कहता है उसको Poke "Back" करो |
        Saturday at 7:42pm ·  ·  2 people

      • Shiv Mishra चलते-फिरते 'खोद' देने का भाव उत्पन्न होता है.
        Saturday at 7:45pm ·  ·  1 person

      • Girijesh Rao ‎@ Arvind Mishra 'लकड़ी' और 'ठेल देना' जब आये गये तो समझ में आ गया बॉस! :)
        Saturday at 7:46pm ·  ·  1 person

      • Yogendra Singh Shekhawat ‎@Shiv Mishra, गुर्र र्रर्र (बांकेलाल कॉमिक्स की शेरनी ) (यहाँ खाम्ख्वाह क्यों गलत अर्थ निकाल कर हम मासूमों को गुमराह किया जा रहा है, Poke से "खोद देने" का भाव है तो फिर Poke Back का क्या अर्थ कीजियेगा ?)
        Saturday at 7:53pm ·  ·  2 people

      • Shiv Mishra ‎@Yogendra Singh Shekhawat ji, उत्तर के मासूम होने की शर्त पर ध्यान दिया जाय. लोगों की मासूमियत पर नहीं:-)
        Saturday at 7:54pm ·  ·  2 people

      • Girijesh Rao ‎@ Yogendra Singh Shekhawat मुझे यह समझ में आया है कि जैसे चलते फिरते किसी को अंगुली से कोंच दिया जाय और बदले में वह शख्स भी ऐसा करे। मित्रों के बीच ऐसा होता ही है (इस क्रिया का 'अंगुल करने' के व्यंजनात्मक अर्थ से लेना देना नहीं है।)
        Saturday at 7:57pm ·  ·  1 person

      • Shiv Mishra और Poke Back से जबाबी खोद का भाव निकाल लेने में क्या हर्ज़ है?
        Saturday at 7:57pm ·  ·  2 people

      • Shiv Mishra गिरिजेश जी, आपने ठीक कहा. 'कोंचना' जो है वह 'पोकने' के एकदम नज़दीक है.
        Saturday at 7:59pm ·  ·  2 people

      • Yogendra Singh Shekhawat ‎(टाईगर स्टाईल पोक बेक कमेन्ट) गुर्र ररर रर्र.. (चलो ठीक है मान लिया, बहुत बढ़िया अर्थ है )
        Saturday at 8:00pm ·  ·  2 people

      • Yogendra Singh Shekhawat लेकिन शेर को पोक बेक मत करना नहीं तो खोद देगा |
        Saturday at 8:01pm ·  ·  1 person

      • Girijesh Rao ‎@ Shiv Mishra गनीमत है 'पोंकना' नहीं हुआ। अनुस्वार का अंतर महत्त्वपूर्ण है।
        Saturday at 8:02pm ·  ·  1 person

      • Girijesh Rao ‎@ Yogendra Singh Shekhawat फेसबुक पर अपनी दोस्ती मनुष्यों तक ही सीमित है इसलिये खतरा नहीं है। वैसे फेसबुक पर अनजान लोगों को तो 'पोका' नहीं जा सकता न?
        Saturday at 8:06pm ·  ·  1 person

      • Rajani Kant P= Pappu
        O= On
        K= Keyboard
        E= Entertained

        Saturday at 8:32pm ·  ·  2 people

      • Prashant Priyadarshi हा हा हा...
        Saturday at 10:39pm · 

      • Rajkumar Singh ‎@अरविन्द जी ,आप खुशनसीब हैं .यहाँ तो इंतजार है ' पोके ' जाने का :) .
        Yesterday at 2:48am · 

        • Yesterday at 2:48am · 

        • Abhishek K. Arjav 
          इस पोकिंग पर कुछ लिखने को मन आया था लेकिन फिर ऐंवें ही छोड़ दिया .
          जब हम छोटॆ कस्बों , गावों मे रहते थे तो खेत की पगडण्डियों से गुजरते हुये ललता चच्चा मिल जाया करते थे , सिर पर ऊख का बोझ रक्खे, जाते हुये, वो रुकते तो नहीं थे , लेकिन पूछ लिया करते थे , का बचवा , का हाल चाल ह !सब नीक त हव न ! यह वही फेसबुक की पोकिंग है.
          शाम को टहलने निकलने पर नहर से होते हुये शिवमूरत हलवायी की दुकान पर चाय पीने के लिये जाते हुये अकेला बाबा वाले चौराहे पर अवनीश , सतीश , फतेह , मिल जाया करते थे , अपने छोटे से इण्टर कालेज की कमेस्ट्री की लैब को "मेंटेन" रखने वाले रामखॆलावन भईया सांझ की तरकारी कीन कर जाते हुये टकरा जाते थे .
          सब अपने अपने रास्ते पर अपनी दिशा में बढ़्ते हुये , बिना रुके , बस एक दूसरे का हाल चाल पूछ लिया करते थे ! साथ के संगी साथी एक दूसरे को कुछ टान्ट मार दिया करते थे, कोंच लिया करते थे, यह वहीं फेसबुकीय पोकिंग है.
          आंचलिकता बदल गयी है , स्थानीयता बदल गयी है ,जो यथार्थ हमें वास्तविक तौर पर जोड़ता है , उसकी प्रकृति बदल गयी है लेकिन कुछ सामूहिक आदतॊं के भेस में बहती रहने वाली , वह एक बहुत ही महत्वहीन , नगण्य परंपरा यहां अन्तर्जाल पर चेहरे की इस किताब पर मौजूद है !
          यह पोकिंग बहुत अच्छी लगती है मुझे.जब भी यहां आता हूं, दो चार लोगों को पोकिया देता हूं

          Yesterday at 11:19am ·  ·  1 person

        • Girijesh Rao ‎@ आर्जव - जीय रजा! जीय।
          Yesterday at 12:02pm ·  ·  1 person

उसी दिन नीरज बसलियाल (उत्तम श्रेणी के बिलागर हैं, काँव काँव करते हैं लेकिन कम। अधिकतर कबाड़ते रहते हैं) का स्टेटस दिखा और मुझे उसमें कबीर टाइप उलटबाँसी दिखी सो 'कोंच दिया' अपनी इस्टाइल में। उनका उत्तर देखने के लिये नीचे ताकिये:


Time wounds all heels

Yesterday at 6:09pm via Mobile Web ·  · 
उनके दिये लिंक पर गया तो दंग रह गया। वहाँ जो फोटो था वह हिन्दी ब्लॉग जगत के एक जाज्वल्यमान(कृपया अर्थ के लिये शब्दकोष देखें। न मिले तो शब्द सम्मिलित करने की सलाह इस ब्लॉग का सन्दर्भ देते हुये प्रकाशक को भेज दें)  नक्षत्र के जैसा दिखता था। मैं अपनी इस नज़र पर बहुत प्रसन्न हुआ। मैंने तुरंत नीरज जी से बात बताई तो उन्हों ने दाँत दिखाने वाला चिह्न चैट पर लगा दिया। मैंने कहा कि इसे ब्लॉग पर लगा कर तपास करता हूँ। इस पर उन्हों ने वादा किया कि वह हस्तक्षेप नहीं मतलब कि टिप्पणी नहीं करेंगे।
 असल में मैं उन टाइप के लोगों के साथ हीनभावना का शिकार हो जाता हूँ जो टटका पैदा हुये बच्चे के भी नाक, नयन नक्श देख पापा, पापी, नाना, नानी, बाबा, बाबी वगैरह के अंगों से साम्यता दिखाने लगते हैं जब कि मुझे कुछ बुझाता ही नहीं :( 
 वयस्क व्यक्ति का ही सही दूसरी बार (पहली बार वाला फिर कभी बताऊँगा ;)) मैंने चेहरे की साम्यता को साफ पहचाना था इसलिये हीनभावना से मुक्त होकर पोस्ट करने को खासा उत्साहित था।
(प्रस्तावना समाप्त) 

मैंने पोस्ट लगा कर आप सबसे पूछ ही लिया। 10 मिनट के अन्दर ही सतीश सक्सेना जी का सटीक गेसनुमा उत्तर आ गया:
सतीश सक्सेना ने कहा…

सिगार के साथ अनुराग शर्मा ??? .....
रविवार, १ मई २०११ ७:५९:०० अपराह्न IST

कुल मिला कर चार सही उत्तर आये: 
 निशांत मिश्र - Nishant Mishra ने कहा…

अनुराग शर्मा
रविवार, १ मई २०११ ९:४६:०० अपराह्न IST 

अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी ने कहा…


फोटू स्मार्ट क्‌ है:)


रंजना ने कहा…

अनुराग शर्मा (स्मार्ट इंडियन)...???

5.  शब्द कंजूसी सम्मान - प्रवीण पाण्डेय (इनकी टिप्पणियों में शब्दों की किफायत उल्लेखनीय होती है। पिछ्ली पोस्ट पर भी है। अब तक इनके द्वारा यहाँ की गई 106 टिप्पणियों में कुल शब्दों की संख्या प्राचीन काल में मेरे द्वारा की गई किसी एक टिप्पणी की शब्द संख्या से कम होगी।) 


 इस पोस्ट से स्मार्ट इंडियन या नीरज बसलियाल का कुछ लेना देना नहीं है। किसी भी गलतफहमी के लिये दोनों स्वयं जिम्मेदार होंगे।

36 टिप्‍पणियां:

  1. मैने इन तीनो भाईयो की फ़िल्मे देखी हे, इस लिये झट से पहचान गया था,

    सतीश सक्सेना जी को वा अन्य विजेताओ को बधाई

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  2. पोस्ट पढ़ते पढ़ते जब ब्लॉगर समारोग और सम्मान में अपना नाम देखा तो बरबस मुस्कान आ गयी कि चलो भैया बिल्ली के भाग से छींका टूटा !

    कम से गिरिजेश राव मूड में हैं ! दो दिन बाद आज नींद बढ़िया आएगी :-)

    -शब्द कंजूसी पुरस्कार :-) ...प्रवीण पाण्डेय जी मार ले गए हा...हा....हा...हा.....

    - और यह निगाहें बौराना ....हा...हा...हा...हा..... और ज्यादा प्यार करो गिरिजेश राव को :-))

    मैं तो भागूं अपना सम्मान लेकर ...कहीं बापस न मांग लिया जाये !

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  3. US ने पाकिस्तान में अल-कायदा को Poke कर दिया है अब अल-कायदा के "Poke back" का इंतज़ार है |
    PS: 'ध्यान' से देखिये चेहरा किताब पर पोक का आईकॉन भी, वो ऊँगली कर रहा है परन्तु कहाँ ये साफ़ नहीं हो पा रहा है |

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  4. मोगाम्बो खुश हुआ कि नहीं, पता नहीं मगर निगाह-ए-बेखुदी सम्मान पाकर हम धन्य हुए। बाकी सभी पुरस्कार विजेताओं, पुरस्कार-देताओं को बधाई। पुरस्कार क्रेताओं और विक्रेताओं के बारे में हम कुछ नहीं कहेंगे - नॉन डिस्क्लोज़र साइन किये हैं भाई - कानूनी बन्धन हो जाता है।
    (PS: यह पोस्ट मिलाकर इंटर्नैट पर अब तक हमारे ज़िक्र वाली पोस्ट का नम्बर 46391 हो गया है)

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  5. सतीश भाई मैं आगे तैयार खड़ा हूं। बतलाओ कितने में बेचोगे इस सम्‍मान को मतलब सम्‍मान का नकदीकरण करवा लीजिए। लादेन के जाने से सेंसेक्‍स गिर रहा है, फिर कोई नहीं पूछेगा इस सम्‍मान को। वैसे सम्‍मान में कितना माल, कितना नकद (जिससे बढ़ता है सम्‍मानित होने वाले का कद) मिला है और हां, किसी से डर कर अपना सम्‍मान वापिस मत छोड़ जाना। मियां, जब सम्‍मान लिया है तो थोड़ी हिम्‍मत भी तो रखो, सही को सही और गलत को लत कहने की। मेरा थैला कब लौटाय रहे हो।

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  6. एक ठो अवार्ड हमहुं दे दिए होते। भाई भाई वाद में कोनो बुराई थोड़े ही है। मेरे मनमितवा।

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  7. @ स्मार्ट इंडियन ,
    हम पर कोई आरोप न लगाये.... बाई गोड गिरिजेश राव को कोई पैसा नहीं दिया गया !
    बेचारे अजीत वडनेरकर यहाँ भी रह गए :-(
    कोई उन्हें सांत्वना पुरस्कार भी नहीं देता!

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  8. मैं पुरस्कार(तथा दीगर प्रियतम वस्तुओं को ..) शेयर नहीं करता इसलिए सखेद वापस!
    बाकी उन का मुझे मेल आया था जिसमें पोक शब्द की व्याख्या का लिंक था ...ये रहा ..
    "सुप्रभात,
    मैंने poke का मतलब oxford डिक्शनरी में देखा था, तो वहाँ 'किसी को चिढ़ाने के लिए कोंचना' मिला था. poker माने 'जलता हुआ कोयला हिलाने वाली डंडी' इससे भी यही अर्थ समझ में आता है.
    लेकिन आज online शब्दकोष में देखा तो इसके और भी अनेक अर्थ दिखे. शायद इसीलिये गिरिजेश जी को कन्फ्यूज़न हुआ हो.
    ये रहा लिंक http://www.shabdkosh.com/s?e=poke&f=0&t=0&l=ही"

    आप और सतीश सक्सेना जी इन दिनों अपनी सृजनात्मकता के परम पर चर्मानंद (चरम नहीं -चर्म आनंद ) की तुरीयावस्था में है ..
    इसलिए अभी फूटते हैं ....

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  9. @ अविनाश वाचस्पति,
    जैसे तैसे एक सम्मान मिला है वह भी आपको बेंच दूं ....पागल समझा है क्या ?
    वैसे अगर कोई आपको बेंचने की सोंचे भी तो कित्ता माल दोगे यह बताओ ? थैला रख आये लाकर में और नाम हमारा लगाय रहे हो :-(
    वह काला थैला कहाँ रखा है ...दोस्तों पर भरोसा करो यार ??

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  10. परमप्रिय गिरिजेश राव भाई जी ,
    यह अरविन्द मिश्र जी हम लोगों की तारीफ़ कर रहे हैं या मज़ाक उड़ा कर भाग गए :-( ???

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  11. काले थैले के बारे में आप लोग विस्तार से बात कर सकते हैं, यहाँ कोई दीवारें थोडे ही हैं जिनके कान हों।

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  12. वाह भाई , सतीश जी को ढेरों बधाइयां , इन्हें अभी फोन करके पार्टी की बात करता हूँ . इस जमाने में सम्मान मामूली बात नहीं है. इनकी वजह से हम लोग सम्मान से कयिउ सीढ़ी नीचे रह गए. तब भी चलो 'मकम्मल' हैं , ई का कम है.

    समारोग बढ़िया लगा. एहिजा बढ़िया पोंके आप , सोरी पोके !

    प्रवीण जी भी बड़े बेकार मनई हैं , समीर जी को वंचित कर दिए सम्मान से :)

    सतीश जी द्वारा इस निर्मल हास्य से सम्बद्ध एक कविता देखने की मनोकामना पनप गयी, देखिये हमहूँ पोंक दिए सोरी पाक दिए :)

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  13. @Smart Indian -..और आँख खोल कर चलना बहुत कम लोगों को आता है....(लाईन अधूरी लगी थी मुझे..)

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  14. डॉ अरविन्द मिश्र ने अपना सम्मान " निगाह ए बौराना " बापस कर दिया ....

    सजा स्वरुप इन्हें कोई और भयंकर पुरस्कार चेंप दिया जाए ! मेरी इस प्रार्थना पर जूरी सावधानी और ओबामा जैसी गंभीरता से गौर फरमाए और दस्तखत करे ! इस निन्दासी और आलसी जूरी में अनुराग शर्मा के अलावा और कौन कौन हैं ??

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  15. हा हा हा .... "निगाह-ए-अव्वल सम्मान" नाम सुन कर ही मज़ा आ गया!!!! :-)

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  16. ऐसे जानो-पहचानो टाइप के पोस्टों में पुरस्कारों की संख्या बढ़ाई जाय मसलन 'जानो-पहचानो' पुरस्कार की बजाय एक पुरस्कार मिले - 'जान गये' पुरस्कार....दूसरा हो 'पहचान गये' पुरस्कार :)

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  17. "निगाह-ए-अव्वल सम्मान" ... बहुत धाकड़ सा सम्मान है ... लेने में भी मज़ा आ जाए ...
    निगाह-ए-बेखुदी... अनुराग जी आप तो ऐसे ना थे .... ये कैसे हुवा ....

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  18. निगाह-ए-खुशी सम्मान - दीपक बाबा (टिप्पणी - :)


    आचार्य..... वाकई पुरस्कार ने खुशी से भर दिया......

    अब ये बताइये के पुरस्कार लेने लखनऊ आना पड़ेगा .....या फिर रहरपुर :)

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  19. puraskaar par puraskar jaha dekho waha puraskar...........

    jai baba banaras..............

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  20. सतीश सक्सेना जी को वा अन्य विजेताओ को बधाई....

    हम रह गये? :)

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  21. महाराज तनिक सम्मान देने की सूचना देते हुए पोकियाए देते तो हमें हमेशा की तरह हर बात की खबर सबसे आखिर में ना होती.
    पोस्ट चकाचक/बमचक है (शब्दाभार (?) सतीश पंचम).

    पोक हमारे दफ्तर में एक सूजा है मोटा सा जिससे कागजों में छेद करते हैं. घर में हम पोंकना कहते हैं जब उंगली से किसी चीज़ को भेदते हैं.

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  22. हमको कुछो नहीं ?
    हम अपने को बधाई दे लेते हैं भला हुआ जो देर से आये :)

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  23. अमां ये कैसा पुरस्कार समारोह है, कोई रूठा ही नहीं अब तक? नाक कटवाकर ही मानेंगे ब्लॉगर्स की।

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  24. सपरिवार original साईं का भक्त हूँ परन्तु सत्य साईं की तरह इसी स्थूल जगत से विचार खोज कर बड़ी ही अकुशलता से परोसता हूँ और गुणी जन मानते हैं की शुन्य से विचार प्रकट कर दिए.

    सभी जन प्रेम से बोलें साईं महाराज की जय.

    अब अत्यंत आदरभाव के साथ इस पुरस्कार को ग्रहण करता हूँ.

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  25. @ संजय @मो सम कौन ,

    डॉ अरविन्द मिश्र ने पुरस्कार अस्वीकार कर परम्परा का निर्वाह किया है , कृपया उनकी टिप्पणी देखें.... :-)

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  26. आपकी पोस्टें अपने आप में इतनी रोचक व पूर्ण होती हैं कि अधिक कहने के लिये कुछ बचता नहीं हैं। सम्मान प्रकट करने के प्रयासवश कम शब्दों की मर्यादा निभाते हैं।
    आपके द्वारा दिया सम्मान सहर्ष स्वीकार है, भविष्य में विचार प्राकट्य अधिकाधिक होगा।

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  27. सतीश सक्सेना जी:
    हमारा प्वाईंट तो रूठने की परंपरा कायम रखने से था जी। हम अपनी परंपरायें भूल रहे हैं:)

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  28. वाह जी वाह - क्या बात है... सम्मान तो खूब बंटे - यह तो "आई पी एल" की बोली हो गयी - अगली कॉम्पीटिशन कब है ?

    and - @praveen pandey ji - प्रवीण पाण्डेय जी - ज्यादा कुछ ना कहिब .... गिरिजेश जी तो आपको एंवई पोक करे रहिब .....

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  29. .महोदय,
    आपके इस आयोजन से परिचित हुआ,
    आपको निग़ाह-पैनी के इनाम के लिये चुन लिया गया है ।
    पुरस्कार प्राप्त करने के लिये कृपया निगाह फाउंडेशन से शीघ्र सम्पर्क करें ।
    धन्यवाद !

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