… यह तुम्हारे लिये है, भेज तो कैसे भी देता लेकिन तुमने यहीं चाहा था।
तुम्हारे लिये भावानुवाद के बजाय मैं एक गीत रच सकता था लेकिन गाता कौन?
बिन संगीत तुम्हें अच्छा लगता क्या?
(न, न कहना कि मेरे शब्द ही संगीत होते हैं, मुझे अतिशयोक्ति नहीं जँचती।)
Most songs thus lost.
When the fountains fell and waves danced,
Gone was my flute! nothing to tune, no one to sing....
(गाऊँ यह गीत? पूरा? ...
एक दिन गाऊँगा, जब बाँसुरी पास होगी और साँसों में लयमयी प्रार्थनायें।
अभी तो यही गीत है; पढ़ना, सुनना और कहना सुनना स्वयं, स्वयं से।
May showers of heavenly bliss be kind on you!)
LEE ANN WOMACK - I HOPE YOU DANCE I hope you never lose your sense of wonder God forbid love ever leave you empty handed I hope you never fear those mountains in the distance I hope you still feel small when you stand beside the ocean | छोड़ना नहीं उत्सुक होना, चकित होना मिले पूरा तो भी बचा रखना थोड़ी सी भूख जीना हर साँस सौ वर्षों जैसे। रहें प्रेम अर्घ्य भरी सदा प्रार्थनायें तुम्हारी जीवन महौदधि किनारे, लघु अँजुरी अब भी तुम्हारी। होते हैं बन्द कपाट खुलने के लिये पुन: आस्थायें अमर उद्यत होती हैं पुन: पुन: वीर लड़ते ही रहते मरते जीते पुन: पुन: क्षण मिलें जब श्रांत और विश्राम लुब्ध थिरक उठना भर नृत्य लयी घनघोर पोर। न, न होना भयभीत निज सर्जित चिंताओं से रचे तुम्हीं ने भू पर भूधर अपनी दुविधाओं से यायावर तुम निज रुचि राह नहीं आसान तुम्हें तुम जैसों से ही बनी यहाँ कंटक पगी पगडंडियाँ। जीना अवसर है, अवसर हैं ले लेने को प्रेम वंचना है जिससे वंचित होने में मोल नहीं मधुर मन न दहकाना दाही जन का कड़वापन सोचना फिर से जब बिकने में हिंसक आनन्द मिले देख तनिक लेना ऊपर है जो शीतल अनंत क्षण मिलें जब श्रांत और विश्राम लुब्ध थिरक लेना भर नृत्य लयी घनघोर पोर। (समयचक्र गतिमय हर पल घुमा रहा हमको हर पल) थिरक लेना भर नृत्य लयी घनघोर पोर। (कह सकते हो चाह किन्हें कि मुड़ जायें बीते वर्ष, पूछे कौन उनका हाल अचरज भर?) रहें प्रेम अर्घ्य भरी सदा प्रार्थनायें तुम्हारी जीवन महौदधि किनारे, लघु अँजुरी अब भी तुम्हारी। होते हैं बन्द कपाट खुलने के लिये पुन: आस्थायें अमर उद्यत होती हैं पुन: पुन: वीर लड़ते ही रहते मरते जीते पुन: पुन: क्षण मिलें जब श्रांत और विश्राम लुब्ध (समयचक्र गतिमय हर पल घुमा रहा हमको हर पल) थिरक लेना भर नृत्य लयी घनघोर पोर। (कह सकते हो चाह किन्हें कि मुड़ जायें बीते वर्ष, पूछे कौन उनका हाल अचरज भर?) |
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वाह, सुन्दर !
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अच्छा है..बहुत अच्छा। देर तक सुनता, पढ़ता और समझता रहा। आपने सीधा-सरल अनुवाद न करके उसके भाव को भी पकड़कर क्लिष्ट अनुवाद किया है। सरल..ज्यों का त्यों..अनुवाद करते और अर्थ पाठकों को ही लगाने देते तो भी अच्छा लगता। ..आभार।
जवाब देंहटाएं:) धन्यवाद भाऊ।
जवाब देंहटाएंजिस खास के लिये किया उसे ऐसा ही ठीक लगेगा। सीधा सरल होने पर यह सुनने को मिलता ... Hmm, where are you in this?...No, no, no I'll not listen to your soul of the song type stuff...do it again and be your natural i.e. क्लिष्ट you know!
हा हा हा...
हटाएंउस खास के भाग्य से ईर्ष्या होती है, किन्तु धन्यवाद जो यह पढ़ने को मिला...
हटाएंभैया जी,
जवाब देंहटाएंजन्मदिवस की सह्स्त्रश: बधाइयाँ.
सादर
ललित
धन्यवाद।
हटाएंbeautiful.....
जवाब देंहटाएंand that answer you gave to devendra ji - makes it come even more alive :)
अहा..बहता सा, ठिठका सा..
जवाब देंहटाएंLoved it. Beautiful
जवाब देंहटाएंअति उत्तम !
जवाब देंहटाएंअरे वाह!
जवाब देंहटाएं"क्षण मिलें जब श्रांत और विश्राम लुब्ध
थिरक उठना भर नृत्य लयी घनघोर पोर।"
"रहें प्रेम अर्घ्य भरी सदा प्रार्थनायें तुम्हारी
जीवन महौदधि किनारे, लघु अँजुरी अब भी तुम्हारी। " ---
ऐसा भावानुवाद तो कत्तई नहीं हो पाता हम-अन्य (अहमन्य नहीं!) से! सिर सहला दो भईया-सनक रहा है।