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सोमवार, 26 नवंबर 2012

26/11/2008 के हुतात्माओं को श्रद्धांजलि

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  • इन चित्रों को कभी न भूलिये!
  • सतर्क रहिये।
  • आसपास किसी भी सन्दिग्ध गतिविधि की सूचना तुरंत पुलिस प्रशासन को दीजिये।
  • संगठित रहिये!
  • आतंकवाद की कोई भौगोलिक सीमा नहीं होती। 
मध्य पूर्व से जुड़ी एक बर्बर क्षयी प्रवृत्ति को स्थापित करने के लिये पूरे संसार में चल रहे राजनैतिक-मज़हबी आन्दोलन की व्यापकता को समझिये। आठवीं सदी में सिन्ध पर हुये आक्रमण के बाद से यह निरंतर जारी है। इसके नुमाइन्दे हर जगह हैं - गाँवों में, नगरों में, झुग्गियों में, सामाजिक अंतर्जाल स्थानों पर, ब्लॉग जगत आदि में सर्वत्र ये भेंड़िये स्थापित हैं। कुछ खुल कर सामने हैं तो कुछ बौद्धिकता और प्रगतिवाद का लबादा ओढ़े बकवास करने और अवैध धन का घी पीने में व्यस्त हैं!
खुलेआम गद्दारी की बातें करने वाले भी हैं तो प्रेम, शांति, सद्भाव, गंगा जमुनी तहजीब आदि की बातें कर मस्तिष्क प्रक्षालन करने वाले भी।
 बर्बरता के जो पाठ सभ्यता बहुत पहले भूल चुकी है उसे आज भी रटते हुये फैलाने में वे लगे हैं। उन्हें पहचानिये। इस मानवविरोधी आन्दोलन के प्रचार तंत्र को असफल कीजिये।
 दैनिक गुंडागर्दी का प्रतिरोध करें। व्रण नासूर होने से पहले ही ठीक हो, इसके लिये जागरूकता आवश्यक है।
जहाँ भी यह आन्दोलन सफल हुआ वहाँ जीवन की गुणवत्ता गर्त में गयी। वहाँ स्त्रियों, बच्चों और निर्बलों पर हो रहे बर्बर अत्याचार आज भी जारी हैं।
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नोट: मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना और इसी प्रकार की अन्य खोखली बातों और टिप्पणियों के लिये अपना समय यहाँ व्यर्थ मत कीजिये।
मैं यहाँ मजहब नहीं, अरबी हीनता को स्थापित करने के उद्देश्य से जारी उस राजनैतिक-मजहबी आन्दोलन की बात कर रहा हूँ जिसने कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक, गुजरात से लेकर असम तक हमें घाव दिये हैं और दिये जा रहा है।
इस आन्दोलन ने कश्मीरियों को अपने देश में शरणार्थी बनने को बाध्य किया। इस आन्दोलन ने बंगलादेश और पाकिस्तान में अन्य मतावलम्बियों का समूल नाश करने में कोई कोर कसर नहीं उठा रखी, अब वे वहाँ लुप्तप्राय हैं। संसार में चल रहे हर बड़े संघर्ष में दूसरा पक्ष चाहे जो हो, एक पक्ष या तो यह बेहूदा आन्दोलन है या उससे बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है।