इस देश में सेकुलरिज्म वैसे ही है जैसे सब्जियों में टमाटर। उत्तर भारत में दोनों कमबख्त बात बेबात और दाल तरकारी में आदतन डाल दिये जाते हैं, कभी तड़के के रूप में तो कभी पूरे कॉंसेप्ट का कबाड़ा करते हुये।
कई दिनों पहले सेकुलरिज्म के प्रदूषण से दुखी मैं ब्लॉग जगत में ऐसे ही भटक रहा था कि प्रतिभा सक्सेना के ब्लॉग लालित्यम् के आलेख वाह टमाटर आह टमाटर पर पहुँच गया। पढ़ने के पश्चात मेरे मन में हुआ बिंगो! यही तो सेकुलरिज्म है! कहना न होगा कि मैं इनके लेखन से भयंकर प्रभावित हो गया।

आगे पढ़ने पर इनके परास का पता चला और एक अकादमिक के प्रति जो गहन आदर भाव होना चाहिये वह उमगता पगता चला गया। द्रौपदी पर उपन्यास हो या पात्र भानमती के माध्यम से चुटकियाँ, इनकी लेखनी सिद्धहस्त है।
इनकी प्रतिभा बहुआयामी है। शिप्रा की लहरें ब्लॉग पर लोरी, दोहे, सोरठे और विविध काव्य मिलेंगे तो लोकरंग में विवाह गीत, बटोहिया, बाउल के फ्लेवर। मन: राग में लम्बी कविताओं के छ्न्दमुक्त और छन्दबद्ध उदात्त सौन्दर्य के दर्शन होते हैं तो स्वर यात्रा में शब्दों के संगीत सुनाई देते हैं। गद्य और पद्य में समान रूप से सिद्धहस्त प्रतिभा जी मौन साधिका हैं और गम्भीर पाठकों के लिये सरस्वती की निर्झरिणी!
शिल्पा मेहता अभियांत्रिकी क्षेत्र से हैं और जीवन समुद्र के किनारे रेत के महल बनाती हैं। अपने लेखन को जिन दो और खंडों में इन्हों ने बाँट रखा है, वे हैं - आराधना और गणित और विज्ञान। आराधना पर धर्म, विज्ञान और दर्शन से सम्बन्धित सामग्री है, गणित और विज्ञान तो नाम से ही स्पष्ट है।
इनके अतिरिक्त भी इनकी बहुआयामी प्रतिभा का अनुमान इनके लेखों के शीर्षक देख कर ही लगाया जा सकता है।
निरामिष आन्दोलन हो या धर्म, पूर्वग्रहों के तर्क हों या तार्किक दिखते पूर्वग्रह - टिप्पणियों और बहस में दिखते शिल्पा जी के अकादमिक विश्लेषण अनूठे होते हैं। अपनी बात दृढ़ता और निर्भीकता के साथ रखती हैं, पॉलिटिकल करेक्टनेस के चक्कर में घुमाती फिराती नहीं।
इनके द्वारा रची जा रही सरल रामायण आम जन के लिये गेय है। पूर्वाग्रह और सभ्यता, शासन, क़ानून व्यवस्था की लेखमालायें गहरी अंतर्दृष्टि का परिचय देती हैं। न्यूरल नेटवर्क और अन्य गणित एवं विज्ञान विषयक आलेख हिन्दी ब्लॉगरी में एक रिक्त से स्थान की पूर्ति कर रहे हैं।
बहुआयामी प्रतिभासम्पन्न ये दोनों शिल्पी ब्लॉगर ऐसे ही सक्रिय रहें, हम सबको अपने नियमित लेखन से समृद्ध करते रहें; यही कामना है।

हीर पुखराज पूजा
शैल शेफाली रश्मि
अनु अल्पना
अर्चना आराधना
वाणी रचना
