घर में रहते हुए भी बहुत दूर है किताबों की आलमारी। टी वी पर है पत्नी और बच्चों के कब्जे। चलो, अंतर्जाल में कहीं नीचे फँसे किसी अच्छे ब्लॉग को ढूंढ़ा जाय, अपने को सँवारा जाय, उसे टिप्पणी दे उत्साह बढ़ाया जाय।
क्या बात है ! किताब की अलमारी तो खैर दूर बहुत दूर होती जा रही है. जब तक डेस्क टाप थे तो बैठकर सर्फिंग ज्यादा देर नहीं हो पाती थी और किताब लेटकर पढ कर तकिये के नीचे रखने की सुविधा के कारण हाथ आ ही जाती थी. पर ये लैपटाप ! इसने किताब का तकिया भी छीन लिया....
टी वी का तो मै मान सकता हूँ उसकी ज़रूरत भी नही है लेकिन किताबे कहीं भी हों पहुंचा जा सकता है .. यह बहाना नही चलेगा , वैसे यहाँ भी ठीक है .. पता तो चल रहा है कि आप जीवन मे उपस्थित हैं ।
कृपया विषय से सम्बन्धित टिप्पणी करें और सभ्याचरण बनाये रखें। प्रचार के उद्देश्य से की गयी या व्यापार सम्बन्धित टिप्पणियाँ स्वत: स्पैम में चली जाती हैं, जिनका उद्धार सम्भव नहीं। अग्रिम धन्यवाद।
चलो,
जवाब देंहटाएंकहीं ऐसा करते हैं,
कभीं ऐसा करते हैं ।
मान ली है बात ...कर दी है टिपण्णी..!!
जवाब देंहटाएंधन्य हो !
जवाब देंहटाएंआपका आलस्य नि:संदेह अद्वितीय है..........
आलसियों का अगर कभी इतिहास लिखा जायेगा तो आपको गौरवपूर्ण स्थान मिलेगा............
आपके आलस्य को कोटि कोटि नमन!!!!!!!!!!!!
घर घर में यही हो रहा है बंधू....कहीं बालिका वधू तो कहीं ये सा तो कहीं वो सा...
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग में यदि बालिका वधू सा कुछ आ जाय तो क्या हो ..... कभी इसकी भी कल्पना करें :)
अच्छी Micro post।
कहा भी है की जिन खोजा तिन पाईयां गहरे पानी पैठ !जो दिख रही हैं वे सचमुच हल्की फुल्की ही हैं !
जवाब देंहटाएंफुरसत में लग रहे हैं आजकल !
जवाब देंहटाएंआभार !
ये हुई न कोई बात! चलो हम तुम्हारा भी उत्साह बढ़ा देते हैं।
जवाब देंहटाएंप्रोत्साहन के लिए धन्यवाद !!!
जवाब देंहटाएंखैर ,फिलहाल तो यह आपका मोटो ही दिख रहा है ! :) :)
चलिए मान लिया :)
जवाब देंहटाएंबहुत देर से गई बिजली आई है। पत्नीजी ने टीवी का रिमोट हथियाया है और हमने माउस।
जवाब देंहटाएंउत्साह बढ़ाने का उद्यम कर रहे हैँ!
क्या बात है ! किताब की अलमारी तो खैर दूर बहुत दूर होती जा रही है. जब तक डेस्क टाप थे तो बैठकर सर्फिंग ज्यादा देर नहीं हो पाती थी और किताब लेटकर पढ कर तकिये के नीचे रखने की सुविधा के कारण हाथ आ ही जाती थी. पर ये लैपटाप ! इसने किताब का तकिया भी छीन लिया....
जवाब देंहटाएंटी वी का तो मै मान सकता हूँ उसकी ज़रूरत भी नही है लेकिन किताबे कहीं भी हों पहुंचा जा सकता है .. यह बहाना नही चलेगा , वैसे यहाँ भी ठीक है .. पता तो चल रहा है कि आप जीवन मे उपस्थित हैं ।
जवाब देंहटाएंआपकी इस कविता पर समीर जी और संगीता पुरी जी कि अनुपस्थिति खल रही है.
जवाब देंहटाएंवैसे सरकार इस काम में अपन थोड़े निखट्टू किस्म के हैं मन होता ही नहीं ...
TV aur kitaab hai bahut door yun ki aisa kar len sote huye kisi lanth ko jagaya jaye
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