23 अप्रैल 1993, समय: अपराह्न 03:00
'घिर गई काली उदासी'नींद से स्वप्न तोड़े, घिर गई काली उदासी
ठूँठा वन, सूना मन, बह गई पछुवा हवा सी।
तुम किसी लायक न थी, हाय मेरी चाहना
छोटी छड़ी हाथों लगी, था समुद्र थाहना
चन्द्रिका की वासना, चन्द्र को आँखें पियासी
घिर गई काली उदासी।
रंग रूप रस गन्ध माधुरी, क्यों न भोगे ?
संग अंग छवि बन्ध नागरी, क्यों न भोगे ?
पतझड़ फिरता नहीं, क्यों नहीं समझा विनाशी?
घिर गई काली उदासी।
Kya Girijesh ji kabhi hathi to kabhi papeeha. Sharad ritu me udasi aur patjhad ki baat kyun karte hain. gahri sans kheenchiye dekhiye shaam ko kahin se harsingar ka jhonka sheetal hawa le ayee hai. Vaise kavita bhi badhiya rachate ho lanthdhiraj
जवाब देंहटाएंतुम किसी लायक न थी, हाय मेरी चाहना
जवाब देंहटाएंछोटी छड़ी हाथों लगी, था समुद्र थाहना
भैया कहाँ से लाते हो ये दर्द
कविता बढ़िया है …
अब सोने का समय हो गया
राम राम भैया
बेहतरीन संवेदना....
जवाब देंहटाएंअभी-अभी चे चिनचिन पर आपके पौरुषेय उद्गार पढ़ कर आया...
जवाब देंहटाएंऔर यहां भी...
तुम किसी लायक न थी, हाय मेरी चाहना
छोटी छड़ी हाथों लगी, था समुद्र थाहना
लगभग यही मंतव्य आपने वहां व्यक्त किया था...
भई, फिर काहे इन्हें पुरानी डायरियां कहे हैं..
अच्छा लगा यह गीत...
purani dayri se,kuch purane lamhe......bahut kuch kah gaye
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना है।
जवाब देंहटाएंइधर भी १९९३ ही है डेट :)
जवाब देंहटाएंअब इस उम्र में छोटी छड़ी लेके समुद्र पार नहीं करेंगे तो लंठई किस दिन काम आएगी !
"रंग रूप रस गन्ध माधुरी, क्यों न भोगे ?
जवाब देंहटाएंसंग अंग छवि बन्ध नागरी, क्यों न भोगे ?
पतझड़ फिरता नहीं, क्यों नहीं समझा विनाशी?"
अत्यन्त प्रभावकारी ! दोनों प्रविष्टियाँ एक ही दिन ! मैंने भी सोचा कि डायरी-३ तो मैंने पढ़ी ही नहीं ।
एक आलसी के चिट्ठे पर पुरानी डायरियों के पन्ने उसकी सक्रियता की गवाही देते हैं पिछले दिनों की ।
सौंदर्य और विरह रस से भर पूर रचना.
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना है।
जवाब देंहटाएंdil ko choo gaya
जवाब देंहटाएंकालपात्र से जो निकलता है बहुमूल्य होता है।
जवाब देंहटाएंबन्धु, छड़ी तो निमित्त है - थाह लेने को मन ही चाहिये!
माफी चाहूँगा, आज आपकी रचना पर कोई कमेन्ट नहीं, सिर्फ एक निवेदन करने आया हूँ. आशा है, हालात को समझेंगे. ब्लागिंग को बचाने के लिए कृपया इस मुहिम में सहयोग दें.
जवाब देंहटाएंक्या ब्लागिंग को बचाने के लिए कानून का सहारा लेना होगा?