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शनिवार, 27 नवंबर 2010

ज्ञान साधना में पायरिया और खजुहट - सब लगने का खेल

एक महात्मा थे। साधना में एक ऐसा दौर आया कि दातून करना, नहाना सब छोड़ दिए क्यों कि उन्हें लगा कि इनसे जीवहत्या होती है।

जब पायरिया और खजुहट से त्रस्त हुए कुछ समय बीत गया तो एक दिन लगा कि दातून और नहाना छोड़ने से भी एक जीव को कष्ट हो रहा है, शायद मृत्यु भी हो जाय। खजुहट से कुत्ते मरते भी देखे थे और देह, मुँह से आती दुर्गन्ध से  भक्त जनों के कष्ट भी। 
ज्ञान अनुसन्धान की आगे की यात्रा उन्हों ने दातून और स्नान के बाद प्रारम्भ की लेकिन जीवन भर खजुआते रहे और बात करते गन्धाते रहे...

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पुरानी बोधकथाएँ:
(1) एक ज़ेन कथा
(2) एक देहाती बोध कथा
(3) एक ठो कुत्ता रहा
(4) गेट