आज
पहली बार बरमूडा पहने। जे मने ये कि हमहूँ एडवांस हो गये। अरे वही बरमूडा जिसे निर्मलानन्द भैया प्यार से घुटन्ना कहते हैं! घुटन्ना
कहने से बरमूडा को लेकर मन में समाया खतरा खत्म हो जाता है। सुना है बरमूडा
त्रिभुज में जहाज सहाज भी एकदम से नपत्ता हो जावें! अपन की क्या बिसात?
घुटन्ने
में कुल छ:+दो जेबें हैं। दो पीछे, दो
साइड में और दो आगे। आगे वाली दोनों जेबों के भीतर भी जेबे हैं। वह घुटने से आठ दस
सेंटीमीटर नीचे जाकर समाप्त हो जाता है गो कि सिलते हुये कपड़ा घट गया हो! जे भी
हो सकता है कि कपड़े की कटौती कर के ही इत्ती सारी जेबें लगाई गई हों (लेकिन गणित
ठीक नहीं बैठता)।
इतनी
जेबें तो यात्रा में ठीक हैं कि एक में पर्स, दूसरी
में पहला मोबाइल, तीसरी में ब्रश, चौथी
में दूसरा मोबाइल, पाँचवी में बोतल, छ्ठी
में बिस्कुट वगैरह और छिपी हुई में इमरजेंसी नगदी लेकिन घर में इसे पहनने का कोई तुक
समझ नहीं आता सिवाय इसके कि कोई आये तो उसे धनी दिखें - जितना पैसा
उतनी जेब! (भले हर तीसरे सप्ताह वेतन की प्रतीक्षा रहती
हो और बैंक वाले ई एम आई को लेकर हैरान रहते हों कि यह कमबख्त एकमुस्त पोस्ट डेटेड
चेक या ऑटो डेबिट एडवाइस क्यों नहीं दे देता!)
धनी
होने का इम्प्रेशन पड़ने से उधारी माँगने वालों के आने का खतरा बढ़ जाता है इसलिये
घुटन्ना घर में नहीं पहना जायेगा। चूँकि यात्रा बार बार तो होती नहीं इसलिये
घिसेगा भी कम - एक निर्णय, दो लाभ।
कमरबन्द
में एलास्टिक लगा है और बटन भी। साथ में एक फैंसी मैचिंग बेल्ट भी है। तीन चार
जगहों पर बिन मतलब ही घुंडियों के आकार में पट्टियाँ बँधी हुई हैं। वजन करना हो तो
शरीर टाँगने में सहूलियत के अलावा उनका कोई और उपयोग मुझे नहीं समझ में आता (लेकिन
स्प्रिंग बैलेंस से किसी मानव का टंगान अवस्था में वजन होते मैंने आज तक नहीं देखा)।
पीछे
अकड़म बकड़म भाषा में कुछ लिखा है जिसका इंटरप्रेटेशन यह है कि असली ब्रांडेड
है...
...
आज देबुआ की भगई और कक्का की लँगोट दोनों याद आये हैं।
पुनश्च:
चेन
के बारे में लिखना भूल गया था। टी के की चेन नहीं है इसलिये शक हो रहा है कि कहीं
ऐन वक्त धोखा न दे दे। एक बार जब जोर की लगी थी और पैंट की चेन बीच में ही अटक गई
थी, न नीचे जाय, न ऊपर तो सुधियाने
में इतनी मेहनत करनी पड़ी थी कि लगी हुई सटक गई। जान में जान आई तो ध्यान से देखा
कि चेन टी के के बजाय एम के की थी।
वैसे
इसकी चेन के आगे घुंडी को गोल कर जो चिह्न बनाया गया है वह किसी बाज जैसा दिखता
है। जाने क्या है? चेन भी ब्रांडेड ही होगी।
इतनी जेबों मे गर एकसाथ सॉलिड माल भल लिया जाए तो बरमूडा कमर छोड़ भी सकता है :(
जवाब देंहटाएंघुटन्ना कथा चकाचक है जी! घुटन्ना से सही में लोग पैसे वाला समझने लगते हैं। :)
जवाब देंहटाएंये सब तो ठीक है मगर इसका नाम बारमूडा क्यों है ....नामा से तो इसके नारी परिधान होने आभास होता है ...वहां है एक रहस्यमयी गह्वर बारमूडा की भांति .....
जवाब देंहटाएंघुटन्ने की खास बात कि इसे पहन कर घुटन नहीं होती... और हाँ पिछवाड़े क्या लिखा है इसका खुलासा ज़रूर करिएगा
जवाब देंहटाएंTrue Bermuda shorts are not to be confused with "clam diggers" or "capri pants" extending below the knee.
जवाब देंहटाएं:)
:)
पहली बार बरमूडा पहना तो हवा पैरों के बीच से ऐसे घुस रही थी कि बार बार ध्यान वहीं जा रहा था।
जवाब देंहटाएंसफ़र के दौरान हम भी इसी घुटन्ने का उपयोग करते हैं, थोड़ा अपना क्लास बड़ा लेते हैं।
जवाब देंहटाएं@ प्रवीण जी, - पहली बार बरमूडा पहना तो हवा पैरों के बीच से ऐसे घुस रही थी कि बार बार ध्यान वहीं जा रहा था।
जवाब देंहटाएंगजब, हम भी इसी डर से नहीं पहनते :)
बढ़िया लिखे हैं पर बहुत बढ़िया नहीं लिख पाये । काहे कि घुटन्ना की तौहीन किये ! इस बिचारे पर धनी होने का आरोप मढ़े! आधे कटे होने का उपहास किये। घुटन्ना वैशाख जेठ ..और आगे असाढ़ सावन में भी बड़ा उपयोगी चीज है। शरम, संकोच जो मन में पाले हैं, तुरंत उतार फेंकिये। वैशाख जेठ में इसे पहन कर मार्निंग वॉक में जाइये। विश्वास कीजिये.. मैं जाता हूँ। सर सर सर सर जो हवा बहती है न! वह टहलने से निकलने वाले पसीने को तुरंते सोख देती है।:) उजुली खुजली नहीं हो पाती।:) असाढ़ सावन मे जब पूरा शहर टखने तक बारिश के पानी में डूबा रहता है अपन आराम से घुटन्ना पहने मुस्कराते, दोनो बाहें लहराते, पैंट पकड़े रेंग रहे मनुष्यों के बीच से गुजर जाता हूँ।:) है न कमाल की चीज?
जवाब देंहटाएंकौन चीज? घुटन्ना?
हटाएं:)
जवाब देंहटाएंघुटन्ना से कभी पाला नहीं पड़ा है, अब नहीं ही पड़ा क्या करें। :)
एक lower/tracksuit है जिसमे १६ जेबें हैं।
बढ़िया निबंध है।
निक्कर - या फिर हाफ पेंट के बीच की कोई 'चीज़' होगा, खैर इस बार आचार्य फोटू लगाने से चूक गए,
जवाब देंहटाएंक्या-क्या नपत्ता हुआ बरमूडा त्रिभुज के अन्दर ? :)
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