गुजरात में इस वर्ष निगम के 6 वार्डों के चुनावों में ई-मतदान का देश में पहली बार प्रयोग होगा। GSWAN (गुजरात राज्य वाइड एरिया नेटवर्क) के द्वारा यह सम्पन्न की जाएगी। लोग घर बैठे अपने कम्प्यूटर और अंतर्जाल के उपयोग से अपना मत दे सकेंगे। आलसियों, बुद्धिजीवियों, एलीट वर्ग और तंत्र से खुन्नाए वे सभी लोग जो बहाने ढूँढ़ ढूँढ़ कर मत नहीं देने जाते, सम्भवत: अब सक्रिय होंगे और मत के अधिकार का प्रयोग करेंगे।
यह मतदान को अनिवार्य बनाने की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित होगा। साथ ही मतदान की प्रक्रिया केवल एक दिन की जगह कई दिनों तक जारी रखने की सम्भावना अब बन सकती है।
इसके लिए निम्न प्रक्रिया होगी:
(1) पंजीयन कराना होगा। पंजियन के समय अपने कम्प्यूटर का आइ पी पता देना होगा।
(2) वोटर के मतदान के समय अपने क्षेत्र में रहना होगा। वह अन्यत्र से मत नहीं देना सकेगा।
(3) ई-मतदाता को दो पासवर्ड दिए जाएँगे। पहले पासवर्ड से वह डिजिटल बैलट पेपर प्राप्त करेगा।
(4) पहचान सुनिश्चित करने के लिए उसके मोबाइल पर काल आएगी।
(5) पहचान सुनिश्चित होने के बाद दूसरे पासवर्ड के प्रयोग द्वारा वह मतदान कर सकेगा।
एक बार इस प्रक्रिया का परीक्षण हो जाने के बाद निम्न सम्भावनाएँ बनती हैं:
(1) टेलीफोन द्वारा मतदान
(2) एटीम द्वारा मतदान
(3) बैंक खाते के उपयोग द्वारा मतदान
...
...
मेरे विचार से टेक सैवी युवा पीढ़ी भी अब मतदान में अधिकाधिक रूप से भाग लेगी। अनंत सम्भावनाएँ हैं। लोकतंत्र के नाम पर एक बहुत बड़े षड़यंत्र, जिसमें हमेशा अल्पमत वाले सत्ता के दलाल ही शासन करते हैं , के विखंडित होने की सम्भावना भी अब दिखने लगी है। मुझे प्रसन्नता है कि अच्छी सोच वाले लोग इस बार विचार को क्रिया रूप में लाने में सफल रहे हैं।
इस सम्बन्ध में मैंने उल्टी बानी नाम से एक लेखमाला लिखी थी जिसका उद्धरण यहाँ देना मुझे प्रासंगिक लग रहा है।
मेरी शुभकामनाएँ। आप लोग क्या कहते हैं? अपने विचार बताइए।
हम तो पुरानी लेखमाला की ओर ही दौड़ पड़े हैं अभी !
जवाब देंहटाएंयह प्रक्रिया पूर्णतः लागू हो जाय..तो कई संभावनाएं साकार दिखती हैं ! हाँ हमारा साइबर-सिस्टम पुख्ता हो ! बहुत कुछ हैक/करप्ट हो जाता है यहाँ !
धिमाँशु जी सही कह रहे हैं। कम से कम मेरे जैसे आलसी के लिये तो सही है मगर आलसी होते हुये भी वोट देने जरूर जाती हूँ। आब तक जितने चुनाव देखे हैं सिर्फ एक बार वोत नही दिया । अच्छी जानकारी है आभार
जवाब देंहटाएंविकास की ओर बढ़ते कदम!
जवाब देंहटाएंपोस्ट से नई जानकारी मिली। इस खबर के बारे में मुझे जानकारी ही नहीं थी।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा कदम है। देखते हैं और कौन लोग इस प्रणाली को अपनाते हैं।
btw
मैं तो जिसको वोट देता हूँ वह हार जाता है.....
पढ़े लिखे और कैंडिडेट का चाल चलन देखकर वोट देने का यही नतीजा होता है।
खराब चाल चलन और बेवकूफी भरे वाहियात दावे करने वालों की मांग कुछ ज्यादा ही है शायद।
अबकी सोच रहा हूँ किसको वोट दूँ....अबकी किसी ऐसे को दूँगा जो कम्बख्त सबसे ज्यादा घपले आदि का आरोपी हो ताकि मेरा वोट देना सार्थक हो और वह हार जाय :)
यह सब दिल्ली, बंगाल, आन्ध्र, कर्नाटका, केरला या महाराष्ट्र में न होकर गुजरात में हो रहा है, क्या इससे प्रगति की दिशा के बारे में कुछ अंदाजा लगेगा क्या? गुजरात है इसलिए उम्मीद है कि
जवाब देंहटाएं१. पंजीकरण घर बैठे हो जाएगा
२. ip पता हर नए सेशन के साथ बदलेगा नहीं.
3. बिजली रहेगी ताकि कम्प्युटर शुरू हो जाए.
और हाँ
जवाब देंहटाएं4. इलेक्शन कमीशन की साईट उप रहेगी और स्केलेबल होगी
पहल का स्वागत है ! उम्मीद है कि इन छै वार्डों के सभी मतदाता कंप्यूटर फ्रेंडली होंगे ? क्या वहां लाइन में खड़े होकर वोट डालने की आवश्यकता नहीं होगी ?
जवाब देंहटाएंपहल का स्वागत है ! उम्मीद है कि इन छै वार्डों के सभी मतदाता कंप्यूटर फ्रेंडली होंगे ? क्या वहां लाइन में खड़े होकर वोट डालने की आवश्यकता नहीं होगी ?
जवाब देंहटाएंबढ़ते क़दम...
जवाब देंहटाएंबूथ कैप्चरिंग व्यवसाय के हाई-टेक होने के दिन आ गए, लगता है.
जवाब देंहटाएं@ अली जी,
जवाब देंहटाएंयह मतदान का एक अतिरिक्त विकल्प है। पुराने तरीके तो रहेंगे ही।
@ स्मार्ट इंडियन
आप ने गम्भीर इशारे किए हैं। समझदारों के लिए काफी हैं।
हाइ टेक बूथ कैप्चरिंग - ज़रा सम्भावनाओं पर प्रकाश डालें ताकि इसके शौकीन लाभांवित हो सकें। :)
कदम निश्चय ही विकासोन्मुखी है और अगर ऐसा हर चुनाव में सम्भव हो पाए तो मेरे जैसे आलसी के लिए इससे बढ़कर तो कुछ हो ही नहीं सकता..
जवाब देंहटाएंपर दो बातें जोड़ना चाहूँगा....
अगर आप गांवों में जाएँ तो पता चलेगा कि आज भी वोटरों का क बड़ा प्रतिशत ऐसा है जिसे बैलट पेपर पर कहाँ और कैसे मुहर लगाई जाए अथवा ईवीएम कैसे यूज किया जाए ये भी नहीं पता और बूथ पर मौजूद पार्टियों के दलाल इसका भरपूर फायदा उठाते हैं.. ऐसे में इस नयी योजना के बृहत् स्तर पर इम्प्लीमेंटेशन की संभावनाएं नगण्य ही हैं .. वैसे भी भारत में इन्टरनेट कितने लोग यूज करते हैं यह भी एक विचार का विषय है...
दूसरी बात जो ब्लॉगर स्मार्ट इंडियन जी ने उठाई... हमारी सरकारी संस्थाएं साइबर क्राइम से निपटने में कितनी कारगर हैं ये सबको पता है. हमारे यहाँ तो इसके लिए उचित क़ानून भी नहीं हैं अभी. और सड़ेले सरकारी सिस्टमों को हैक करना या उनसे आईडी जैसी सूचनाएं चुराना आज के सोफिस्टिकेटेड प्रोफेशनल्स के लिए कोई ज्यादा मुश्किल काम नहीं है...
खैर.. इसका मतलब यह नहीं है कि हम विकास की और कदम ही न बढ़ाएँ.. आगे बढ़ेंगे तभी तो रास्ते भी मिलेंगे.. अतः कदम स्वागतयोग्य है.
सही दिशा में बढ़ते प्रयास ।
जवाब देंहटाएंइसमें वोटर के भयादोहन को कैसे रोकेंगे? जब वोटर अपने घर से ही वोट दे सकेगा, तो गुण्डॆ माफिया उसे ‘अपने’ घर या ठिकाने पर ले जा सकेंगे तथा मनचाहा बटन दबाने के लिए विवश कर सकेंगे। मतदान की गोपनीयता का क्या हश्र होगा? कमजोर तबके के लोग पोलिंग बूथ पर तो गोपनीय मतदान कर लेते हैं लेकिन अपने घर से मतदान करना उनके लिए संकटपूर्ण हो सकता है।
जवाब देंहटाएंगुजरात में तो अब डरने की कोई आवश्यकता नहीं है वहाँ कोई सिस्टम बनेगा तो सेफ ही बनेगा। वैसे भी बूथ केपचरिंग की समस्या कुछ ही स्थानों पर है। जब इन्टरनेट के द्वारा पैसो का लेनदेन सम्भव हो गया है तब वोट क्यों नहीं हो पाएंगे। कोई धांधली करना भी चाहता है तो एक कम्प्यूटर पर अपना वोट डाल सकेगा सैकड़ों में तो नहीं कर सकता है।
जवाब देंहटाएंकुछ भी हो मैं तो मोदी जी से बेहतर राजनेता आज की तारीख में नहीं देख रहा कोई.. इस निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले कम से कम ३० गुजराती साथियों से बट की और मोदी के बारे में उनके राय जानी.. लगता नहीं कि किसी अन्य राज्य का नागरिक अपने मुख्यमंत्री को इतना सम्मान देता होगा..
जवाब देंहटाएंModi ji ne har kshetra me pragati ki hai.
जवाब देंहटाएंbahut acchhi jankari
सायबर अपराधियों से बच सके तो प्रक्रिया लाभदायक ही होगी और वोटरों की संख्या में इजाफा होगा ...
जवाब देंहटाएंविकासोन्मुख राज्य की मतदान प्रक्रिया को आधुनिक बनाने की रोचक जानकारी ...
एक नई पहल का स्वागत होना ही चाहिये। दुश्वारियां आयेंगी तो उनके हल भी निकलेंगे। समस्याओं के अन्देशे से बैठे रहे तो उससे भी समस्या खत्म नहीं होने वाली हैं।
जवाब देंहटाएंजोरदार ब्रेक !
जवाब देंहटाएंभैया ये हैकिंग-वैकिंग का क्या करेंगे ! हमारे कॉलेज में होस्टल चुनाव में ट्राई किया जाना था छात्रों द्वारा डेवेलोप... वार्डेन ने कहा हैक हो गया तो. फिर वैलेट का वैलेट ही रहा.
जवाब देंहटाएंऔर कागज की बर्बादी तो खूब होती है चाहे चुनाव हो या जनगणना. आये थे जनगणना वाले मेरे यहाँ भी... तब से जनगणना के नाम पर दिमाग में यही आ रहा है कि कुल कितने टन कागज लगेंगे इसमें?