बुधवार, 4 अप्रैल 2012

एलियन, लड़की और कउवा


सूरज छुट्टी पर है और चाँद को उतार कर आले पर रख दिया है। दिन एकसार हो गये हैं और रातें रोशनीखोर। ऐसे में न प्रात होती है और न साँझ। तबियत नासाज नहीं, क़ैद हो गई है – न जेल का पता और न जेलर का। इस क़ैदखाने में कोई गाछ नहीं। कउवा की बोली का सवाल ही नहीं उठता कि सुन कर सूफियाना हो जाऊँ और कहूँ मुझे नोच नोच खा ले, आँखों को भी न छोड़! रखने से भी क्या होगा जब कि सब एक सा दिख्खे!  आवाज़ों से जानता हूँ कि दुनिया बदस्तूर उन मुलायमबाजियों में व्यस्त बढ़ती जा रही है जिन्हें मैं लिजलिजा कह थूकता रहा हूँ।

मैं जब भी सीरियस होता हूँ तो स बोलने पर श हो जाता है। जीभ अपने आप तालू की ओर आवारा चुम्बन को बढ़ जाती है। मुझे फिल्मों के एलियन कौंधते हैं जिनके समूचे चेहरे से श्लेष्मा टपकती रहती हैं और फिर वह कथा जिसमें एक राजकुमारी को मेढक को चूमना होता है जिससे वह सुन्दर राजकुमार बन जाता है। दुनिया बदलने का जिम्मा राजकुमारियों को दिया गया है जो अनिवार्यत: बला की खूबसूरत होती हैं, जिनकी हँसी से फूल झड़ते हैं और रुलाई से मोती गो कि दुनिया उन्हें रुला रुला कर ही धनी होती रही है। उनके हँसने से तो हवा में पराग फैलते हैं, एलर्जी की बीमारियाँ बढ़ती हैं। अब जीभ तो रहती ही लार सार के बीच है, तालू पर भी वही लिपटा हो तो की फरक पैंदा? लेकिन राजकुमारी को कैसे हिम्मत होती होगी एक बदसूरत श्लेष्मा पोते मेढक को चूमने की? उसे उबकाई नहीं आती? 

मेरी श-बाजी से दुनिया नहीं बदलने वाली। जिनके लक्ष्य बड़े होते हैं, जो दूर देखते हैं, वे राजकुमारियों से होते हैं। उन्हें वह सब नहीं दिखते जो हम जैसे सामान्य जन को दिखते हैं। वे चूमती रहती हैं और देह बदल ऐसे दम्भी होते रहते हैं जिनकी हक़ीक़ी दुनिया में हर खूबसूरत चीज को बदसूरत के पल्ले बँधना अनिवार्य होता है।

इस दुनिया के फिल्मांकन को मैंने एक कथा लिखी है जो कि प्रेरित है न कि मौलिक। इसमें धरती की लड़की (इस जमाने में राजकुमारियाँ कहाँ होती हैं? जो कहलाती हैं वे होटल मैनेजमेंट करती हैं, राज काज नहीं) को उस एलियन से प्रेम हो जाता है जिसका दिमाग नीले रंग के श्यान पानी सरीखा रिसता रहता है। कथा तो कथा है, इसमें क्यों, कैसे की गुंजाइश नहीं, बस हो जाता है क्यों कि लड़की को कुछ अनूठा चाहिये होता है और एलियन ने लड़की जैसी चीज देखी ही नहीं कि जो हँसे तो बिजली चमके और रोये तो बारिश हो (गो कि मुकम्मल झमाझम के लिये उसका एक साथ हँसना रोना जरूरी है)। हर अनदेखा जब देखा हो जाय तो प्यार हो जाय, ऐसा तो नहीं होता लेकिन क्या है कि तर्क और कथा एक दूसरे के शत्रु होते हैं, सो दोनों में इश्क़ है।

अब न तो एलियन को पता है और न लड़की को कि अगर लड़की चूम ले तो एलियन का दिमाग बहना बन्द हो जाय! और वह अमर हो मनुष्य हो जाय (अगर आप मनुष्य को नश्वर समझते हैं तो यकीन मानिये कि ताउम्र आप कथा किस्से का मजा नहीं ले पायेंगे और एक दिन उम्र पूरी कर मर जायेंगे)। न तो एलियन को यहाँ के इश्क़िया कायदे पता और न लड़की को वहाँ के लेकिन दोनों को प्रेम पता है और यह भी पता है कि दोनों उसे करते भी हैं (वे प्रेमी माफ करें जो ‘किया नहीं जाता, हो जाता में’ यकीन रखते हैं)। मुझे समझ में यह नहीं आ रहा कि ऐसी परिस्थिति कैसे लाऊँ कि दोनों के भीतर रासायनिक ज्वार उठें और दोनों चुम्बन को लिपट जायँ?

 हमारे जमाने में यह तो पता है कि क्या होना चाहिये लेकिन कैसे? यही नहीं पता, यही नहीं पता कि कथायें कैसे वास्तविकता में बदलें और चन्द हक़ीकतें कैसे कथाओं में? इस कारण हम उल्टा पुल्टा करते रहते हैं - कथाओं और हक़ीकतों की अदला बदली। इसी कारण जितने भी समझदार किस्म के लोग हैं वे कथाओं में जीने लगे हैं। उनके साथ ऐसा अक्सर होता है कि सूरज छुट्टी पर और चाँद आले पर। वे क़ैदी होते जाते हैं। उन्हें छुड़ा पाना मुश्किल है, बहुत मुश्किल। वैसे ही जैसे कि लड़कियों का हँसना रोना एक साथ, वैसे ही जैसे कि एलियन और लड़की का इश्क़ होना, वैसे ही जैसे एक अदद चुम्बन का घटित होना और वैसे ही जैसे दिमाग का बहना बन्द होना।

जब तक यह सब न हो मौत की दुहाई देते इंसान अमर रहेंगे और हक़ीकतें अफसाना बनने को अभिशप्त रहेंगी। दुनिया ऐसे ही रहेगी, गाछ पर कउवे होंगे लेकिन उनके नोचने को कुछ नहीं रहेगा, कुछ भी नहीं ...हाँ, लड़की के जिम्मे यह अवश्य रहेगा कि वह गाये (और वह कभी नहीं गायेगी)  –
कागा सब तन खाइयो, चुनि चुनि खाइयो माँस।
दो नयना मत खाइयो, पिया मिलन की आस।

9 टिप्‍पणियां:

  1. बेहतरीन..। तभी कहूँ कि यह लिजलिजा पन कहाँ से आया..मेंढक चूम के मर्द बने हैं !

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  2. यह क्या था ??
    :)

    .........

    आशा है आपकी तबियत पहले से बेहतर होगी - लेकिन इस पोस्ट से तो लगता नहीं ऐसा :(

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  3. आजकल तो राजकुमारी का स्पर्श अच्छे भले मानव को एलियन बना देता है।

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  4. आप मेरे जैसे आम मनुष्यों की जिन्द्गी इतनी कठिन बनाने का प्रयास क्यों कर रहे हैं? कुछ ज्यादा उलझाऊ सी लगती है यह कथित कथा :(

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  5. कहीं दुशमनों की तबीयत सचमुच तो नासाज नहीं ....
    श बाजी भले ही नहीं आप अपने तई के ब्लॉगर शो मैं तो हैं हीं ...
    इस खिस्से का पार्ट टू मेरी विज्ञान कहानी अंतिम संस्कार में है ...
    बस वहां एलियन लडकी है और उसका प्रेमी धरती पुत्र ...
    मगर जैसे ही वह गहरा चूमता है वह बिचारी तन छोड़ देती है ..
    बड़ी दर्दनाक कथा है ...रेस प्योरिटी के लिए क्या क्या नहीं करते लोग :(

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