बुधवार, 7 मार्च 2012

जोगीरा, कबीरा -सम्हति इसपेसल - बरसाने वाले किनार रहें


नदी किनारे धुँआ उठत है, मैं समझूँ कछु सोय
जिन पिछवाड़े दिया लुकाठा, वही न जलता होय
बोल कबीरा सर र र र र

सेजिया आवs हमरे पियवा, ई अँखिया अलसानीs
आँखि में तोरे लवना लागे, सुत्तल बाड़ी नानीs
तरस जोगीरा सर र र र र

नदिया नारे कक्का बइठें, लेवे के अचमन्नी
खोलि के पोछिटा कुदलें दन से , लउकल जब चवन्नी
तरे कबीरा सर र र र र

बड़ी सयाना हमरो पड़वा, कहलावे युवराज
दाढ़ी बढ़ि गे बोका होइ गे, लउके उमिरदराज
छील जोगीरा सर र र र र

बाप के देखs, बेटा देखs, अँइठल मोछि कक्का देखs
गाड फादर फिलिम पँचबरसा, ऊ पी हक्का बक्का देखs
देख कबीरा सर र र र र र

फगुआ हिया समाइल, फगुआ हिया समाइल
हम कहनी आ जा रनिया, ऊ दउरल चलि आइल
हम कहनी आ जा कर लें जो करते हैं कप्पल
चुम्मा लेवे आँखि जो मुनलीं, मरलसि गाले चप्पल
मार जोगीरा सर र र र र।
___________________

पिता उवाच पुत्रं :
"का बे! तुम तो कह रहे थे कि 5 दिन की छुट्टी थी?
सुना है आज छोटी पिचकारी से छोटी होली मनाने वाले थे? होली तो एक दिन की कल है।
लच्छ्न ठीक नहीं तुम्हारे! उल्लू के पठ्ठे! उठाओ बस्ता और परीक्षा देने जाओ।"...


:) बेटा एकदम बाप पर गया है!

11 टिप्‍पणियां:

  1. बढियां सुर और सरुर दोनों चढ़ता जा रहा है ...अब तो राम ही राखी!

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  2. यह सब संकलित है कि स्वरचित है? जरूर बताया जाय।
    ऐसा लल्लनटॉप जोगीरा तो बिल्कुल उछाल देने वाला है।

    इसको जोर-जोर से गाने का मन कर रहा है, लेकिन मेरे बच्चों की छुट्टी है।
    घर में ही दुबके बैठे हैं सब। :)

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    उत्तर
    1. होलियो में मन मार के बैठे हो तो क्या किया जा सकता है?

      सभी स्वरचित हैं। हाँ, पहले दो की पहली पंक्तियाँ अवश्य अमीर खुसरो के दो प्रसिद्ध दोहों से प्रेरित हैं।

      हटाएं
  3. दाढ़ी बढ़ाने से चुनाव जीत लिये जाते तो लदेनवा सबसे बड़ा लोकतंत्रवादी होता :)

    जोगीरवा झन्नाट है :)

    जवाब देंहटाएं

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